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आयुर्वेद को आलोचना नहीं, शोध की जरूरत

आयुर्वेद को आलोचना नहीं, शोध की जरूरत

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- हृदयनारायण दीक्षित आनंदपूर्ण जीवन मनुष्य की स्वाभाविक इच्छा है। इसके लिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य जरूरी है। स्वस्थ जीवन और दीर्घायु सबकी अभिलाषा है। वैदिक ऋषि सौ वर्ष के स्वस्थ जीवन के लिए स्तुतियां करते थे। प्राचीन काल का जीवन प्रकृति रस से भरपूर था। लेकिन आधुनिक जीवनशैली के कारण रोग बढ़ रहे हैं। रोग रहित जीवन और स्वस्थ जीवन में अंतर है। रोगी शरीर में अंतर्संगीत नहीं होता। स्वस्थ जीवन और दाीर्घायु में आनंदपूर्णता है। भारत में अनेक चिकित्सा पद्धतियां हैं। आयुर्वेद आचार आधारित प्राचीन आयुर्विज्ञान है और एलोपैथी उपचार आधारित चिकित्सा विज्ञान। होम्योपैथी यूनानी सिद्धा आदि पद्धतियां भी हैं। स्वस्थ जीवन के लिए सब उपयोगी हैं। लेकिन यहां योगगुरु रामदेव पर आयुर्वेद से भिन्न चिकित्सा प्रणाली की आलोचना के आरोप हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका में सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायाल...
‘चंद्र’यान-3… अब शोध हो महीन

‘चंद्र’यान-3… अब शोध हो महीन

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- के. विक्रम राव भारत के चंद्रयान-3 की सफलता ने दुनिया के वैज्ञानिकों को अचंभित कर दिया है। सारे देश में खुशी का माहौल है। होना भी चाहिए। यह हर भारतीय के लिए गौरव की बात है। मेरा मानना है कि अब इस पर विशद शोध शुरू होना चाहिए कि आमजन के जीवन पर इसका प्रभाव कैसा, क्या और कितना पड़ेगा ? यह महत्वपूर्ण खगोलीय घटनाक्रम है। यूं चंद्र उपग्रह है, मगर उसे ज्योतिष में पूर्णग्रह माना जाता है। संतोषजनक रहा कि यह यान चांद पर विशाखा नक्षत्र में स्थापित हुआ था, जो सर्वाधिक शुभ माना जाता है। चंद्रमा तो मन का कारक भी है। यह शोध इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होगी क्योंकि यूपी के पुलिस महानिदेशक विजय कुमार (आईपीएस-1988) ने गत सप्ताह (21 अगस्त 2023) ने चंद्रकलाओं के आधार पर पुलिस की तैनाती का उल्लेख किया था। पंचांग के महत्व को उकेरा था। उनके शब्दों में-'अधीनस्थ अधिकारियों को हिंदू पंचांग के आधार पर चंद्रमा की ग...
आईआईटी रुड़की ने अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए एनपीटीआई के साथ किया एमओयू

आईआईटी रुड़की ने अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए एनपीटीआई के साथ किया एमओयू

देश, बिज़नेस
रुड़की। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रुड़की (आईआईटी रुड़की) और नेशनल पावर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (एनपीटीआई) ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इस साझेदारी के तहत आईआईटी रुड़की के ग्रेटर नोएडा एक्सटेंशन सेंटर (जीएनईसी) में हरित हाइड्रोजन के आपूर्ति श्रृंखला प्रबन्धन में अनुसंधान और कन्सलटेन्सी के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेन्स की स्थापना की जाएगी। समझौता ज्ञापन के तहत एनपीटीआई और आईआईटी रुड़की, आईआईटी रुड़की सहारनपुर (यूपी) कैम्पस में मध्यम आकार के पैलेट निर्माण प्लांट की स्थापना करेंगे, जहां अनुसंधान और प्रशिक्षण प्रोग्रामों का संचालन किया जाएगा। यह समझौता ज्ञापन हरित हाइड्रोजन की आपूर्ति श्रृंखला प्रबन्धन के लिए आर एण्ड डी और कन्सलटेन्सी के दायरे को भी विस्तारित करेगा। आईआईटी रुड़की की 175 सालगिरह के मौके पर की गई यह साझेदारी अकादमिक अनुसंधान सहयोग एवं विकास को बढ़ावा देगी। इससे प्रधानमंत्री...
इतिहास में शोध का दायरा बढ़ाने की वकालत के मायने

इतिहास में शोध का दायरा बढ़ाने की वकालत के मायने

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- कमलेश पांडेय क्या आपको पता है कि आधुनिक इतिहास में शोध का दायरा बढ़ाने की वकालत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी क्यों कर रहे हैं? जवाब होगा, शायद इसलिए कि साम्राज्यवादी ताकतों द्वारा रणनीतिक रूप से लिखवाए गए ऐतिहासिक कथ्यों और भ्रामक तथ्यों से जनमानस को मुक्ति मिले। देश शोधपूर्ण तथ्यों, लोकश्रुतियों में रचे-बसे कथ्यों से अवगत हो सकें। भारतीय राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक चेतना को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए यह बहुत जरूरी है। यह आज की सबसे बड़ी वैज्ञानिक और विषयगत जरूरत है। नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय की वार्षिक आम बैठक में प्रधानमंत्री की टिप्पणी के कई मायने हैं। हालांकि, जब आप इस नजरिये से यानी मध्यकालीन भारतीय इतिहास और प्राचीन भारतीय इतिहास को भी शोधपरक दृष्टि से देखेंगे, जांचेंगे, परखेंगे और फिर लिखेंगे तो आम जनमानस में वह इतिहास दृष्टि विकसित होगी, जिससे वर्तमान ही नहीं बल्कि भविष्य को ...