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नवोन्मेष की ओर बढ़ते कदम

नवोन्मेष की ओर बढ़ते कदम

अवर्गीकृत
- गिरीश्वर मिश्र यद्यपि गणतंत्र की अवधारणा और स्वाधीनता के विचार भारत में कई हज़ार साल पहले व्यवहार में थे परंतु ऐतिहासिक उठा-पटक के बीच वे धूमिल पड़ते गए थे। यदि निकट इतिहास में झाकें तो अंग्रेजी राज ने उपनिवेश स्थापित कर लगभग दो सदियों तक फैले काल-खंड में भारतीय समाज को साम्राज्यवाद का बड़ा कड़वा स्वाद चखाया था। भारत को अपने लिए उपभोग की सामग्री मान बैठ अंग्रेजों की कुनीति ने देश का भयंकर शोषण किया। उस दौर में भारत को अपने रंग-ढंग में ढालने की लगातार कोशशें होती रहीं। भारत का मौलिक स्वभाव संकीर्ण न हो कर वैश्विक था। परस्पर निर्भरता और अनुपूरकता के आधार पर सामाजिक समरसता, भ्रातृत्व और सौहार्द के साथ सह अस्तित्व को सांस्कृतिक लक्ष्य के रूप में वैदिक काल में ही स्वीकार करते हुए संकल्प लिया गया था - संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्। अंग्रेजों के विरुद्ध लड़े गए स्वतंत्रता संग्राम ...
मप्रः गणतंत्र के उत्सव लोकरंग का भव्य शुभारंभ, राज्यपाल ने प्रदान किए राष्ट्रीय सम्मान और पुरस्कार

मप्रः गणतंत्र के उत्सव लोकरंग का भव्य शुभारंभ, राज्यपाल ने प्रदान किए राष्ट्रीय सम्मान और पुरस्कार

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल (Bhopal)। राज्यपाल मंगुभाई पटेल (Governor Mangubhai Patel) ने गणतंत्र का उत्सव 'लोकरंग' (Celebration of Republic 'Lokrang') में साहित्यकारों को राष्ट्रीय सम्मान से विभूषित (Awarded National Award to litterateurs) किया। इस मौके पर गणतंत्र दिवस समारोह के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया, साथ ही संस्कृति विभाग के द्वारा तैयार किये गये एप का डिजीटली लोकार्पण भी हुआ। राज्यपाल पटेल ने गुरुवार शाम को रवीन्द्र भवन भोपाल में दीप प्रज्ज्वलन कर 'लोकरंग' उत्सव का शुभारंभ किया। उन्होंने यहां कलात्मक दीपों की प्रदर्शनी 'अभ्यर्थना' का अवलोकन किया। इस अवसर पर जनजातीय जीवन और शिल्प कला की जीवंत प्रस्तुतियों का भी प्रदर्शन किया गया था। राज्यपाल ने विमुक्त एवं घुमंतू विषय पर केन्द्रित प्रदर्शनी का अवलोकन कर समुदाय की संस्कृति को करीब से जाना। इस मौके पर संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास और धर्मस्व मंत्री...