Friday, September 20"खबर जो असर करे"

Tag: remember

याद रखना, भूल ना जाना वतन पर मरने वालों को

याद रखना, भूल ना जाना वतन पर मरने वालों को

अवर्गीकृत
- आर.के. सिन्हा कुछ दिन बाद 26 जुलाई को सारा देश 'कारगिल विजय दिवस' के रूप में मनाएगा। उस युद्ध में भारतीय सेना ने सभी बाधाओं को पार करते हुए भारी बलिदान देते हुए भी कारगिल क्षेत्र के बर्फीले पहाड़ों से पाकिस्तान के घुसपैठियों को खदेड़ दिया था। यह भारत का पहला टेलीविजन युद्ध भी था जिसके दौरान टोलोलिंग और टाइगर हिल जैसे अज्ञात निर्जन शिखर सारे देश की जुबान पर आ गए थे। कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच हुआ था। परवेज मुशर्रफ की सरपरस्ती में पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पार करके भारत की जमीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की। पाकिस्तान ने दावा किया कि लड़ने वाले सभी कश्मीरी उग्रवादी हैं, लेकिन युद्ध में बरामद हुए दस्तावेजों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हो गया था कि पाकिस्तान की सेना प्रत्यक्ष रूप में इस...
सैम बहादुर के बहाने याद जनरल मानेकशॉ की

सैम बहादुर के बहाने याद जनरल मानेकशॉ की

अवर्गीकृत
- आर.के. सिन्हा सैम हॉरमुसजी फेमजी जमशेदजी मानेकशॉ को देश 1971 में पाकिस्तान के साथ हुई जंग में भारतीय थल सेना का कुशल नेतृत्व करने वाले एक सेनाध्यक्ष के रूप में कृतज्ञ भाव से याद करता है। वे फील्ड मार्शल का पद हासिल करने वाले पहले भारतीय सैन्य अधिकारी थे। अब उनके जीवन पर आधारित फिल्म सैम बहादुर के रिलीज होने के साथ ही यह मौका है कि हमारे सारे देशवासी खासकर के युवा पीढ़ी उनकी शख्सियत को फिर से जाने-समझे। उन्हें सैम मानेकशॉ और सैम बहादुर भी कहा जाता था। वे 1969 में भारत के सेनाध्यक्ष बने थे। इससे पहले उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध के साथ-साथ भारत की चीन और पाकिस्तान के साथ हुई तमाम जंगों में अहम भूमिका निभाई थी। सैम मानेकशॉ समर नीति के गहरे जानकार थे। पर उनकी जुबान भी फिसलती रहती थी, जिसका उन्हें कई बार बहुत नुकसान भी उठाना पड़ा था। वे 1971 की पाकिस्तान के साथ हुई जंग में विजय का क्रेडिट जाने...
चुनाव में ही कांग्रेस को क्यों याद आते हैं मंदिर

चुनाव में ही कांग्रेस को क्यों याद आते हैं मंदिर

अवर्गीकृत
- मृत्युंजय दीक्षित भारतीय राजनीति में मुस्लिम तुष्टिकरण को चुनाव जीतने का मंत्र मन जाता रहा है किन्तु 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार बनने और फिर सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या पर मंदिर के पक्ष में ऐतिहासिक निर्णय दिए जाने के बाद स्थितियों में बड़ा बदलाव आया है। कुछ वर्ष पूर्व तक भारतीय जनता पार्टी की ओर से नारा लगाया जाता था, “रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे” और विरोधी दल पलटवार करते हुए कहते थे, “रामलला हम आएंगें मंदिर वहीं बनाएंगें किंतु तारीख नहीं बताएंगे”। अब सब कुछ परिवर्तित हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आ जाने के बाद अयोध्या नगरी में दिव्य-भव्य गगनचुम्बी राम मंदिर का निर्माण कार्य पूर्णता की ओर अग्रसर है। रामलला के विराजमान होने की तिथि भी आ गई है। आगामी 22 जनवरी 2024 को प्रभु श्रीराम अपने अस्थायी मंदिर से नए मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित...
पूर्वजों को याद कर उन्हें नमन करने का पर्व है श्राद्ध

पूर्वजों को याद कर उन्हें नमन करने का पर्व है श्राद्ध

अवर्गीकृत
- डॉ. श्रीगोपाल नारसन (एडवोकेट) प्रतिवर्ष भाद्रपद पूर्णिमा से पितृपक्ष प्रारंभ हो जाता है, जो आश्विन अमावस्या तक अर्थात 16 दिनों तक चलता है। इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से हो रही है और श्राद्ध पक्ष का समापन 14 अक्टूबर को होगा। श्राद्ध पक्ष की अवधि में पूर्वजों के निमित्त पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, जिससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं। कहा जाता है कि पितरों के प्रसन्न होने से वंशजों का भी कल्याण होता है। जो लोग पूरे श्राद्धपक्ष में अपने पूर्वजों का तर्पण, पिंडदान न कर पाए हों वह सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध कर सकते हैं। इस दिन बिहार के गयाजी में पिंडदान करने का सबसे ज्यादा महत्व है। इस साल आश्विन माह की सर्वपितृ अमावस्या के दिन साल का दूसरा और आखिरी सूर्यग्रहण भी लग रहा है। सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्य ...
प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन ऐसा हो कि लोग रखें याद : शिवराज

प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन ऐसा हो कि लोग रखें याद : शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
मुख्यमंत्री ने प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन की तैयारियों की समीक्षा भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि इन्दौर में 8 से 10 जनवरी तक प्रवासी भारतीय दिवस (Pravasi Bharatiya Divas) के कार्यक्रम का आयोजन ऐसा हो कि लोग याद रखें। प्रवासी भारतीय अच्छी स्मृतियाँ (good memories) लेकर वापस जाएँ। कार्यक्रम में कोई कमी नहीं छोड़ी जाए। मुख्यमंत्री चौहान शुक्रवार की रात अपने निवास से प्रवासी भारतीय दिवस की तैयारियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अंतिम समीक्षा कर रहे थे। कॉन्फ्रेसिंग में अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान ने तैयारियों की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आयोजन प्रवासी भारतीयों के समक्ष मध्यप्रदेश की खूबियाँ बताने का दुर्लभ अवसर है। हमारी कोशिश होनी चाहिए कि कार्यक्रम जीरो डिफेक्ट के साथ हो। व्यवस्थाओं के संबंध में अगर कोई बात ध...