वैश्विक शांति के लिए धार्मिक सद्भाव
- कुलभूषण उपमन्यु
मनुष्य जैसे-जैसे सभ्यता की सीढ़ियां चढ़ता गया वैसे-वैसे जीवन को सुखी बनाने के उसने नए-नए रास्ते खोजने आरंभ किए। इसी खोज में धर्म का अविष्कार हुआ। बाहरी प्रयासों से मनुष्य के लिए समाज के भौतिक वस्तुओं को प्राप्त करने की होड़ और टकरावों को रोक पाना उतना आसान नहीं था। धर्म ने आंतरिक अनुशासन से इन टकरावों को कम करके सुखी जीवन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया। धीरे-धीरे धर्म जीवन से जुड़ी समस्याओं को और गहराई से देखने लगा। धर्म के साथ दार्शनिक सोच का आविर्भाव हुआ। दर्शन से तर्क पूर्ण सोच का उदय हुआ। अलग-अलग देशों के धर्मों ने अपने-अपने देशकाल जनित परिस्थितियों के अनुरूप धर्म के लक्ष्य निर्धारित करके संसार के पैदा होने के कारणों और संचालित होने के रहस्यों को जानने का प्रयास किया। उसके अनुरूप धार्मिक पद्धतियों का विकास हुआ। जाहिर है कि अलग -अलग देशकाल के कारण उनके निष्कर्ष अलग-अल...