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प्रासंगिक है भगवान महावीर का अहिंसा दर्शन

प्रासंगिक है भगवान महावीर का अहिंसा दर्शन

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- योगेश कुमार गोयल ‘अहिंसा परमो धर्मः’ सिद्धांत के लिए जाने जाते रहे भगवान महावीर का अहिंसा दर्शन आज के समय में सर्वाधिक प्रासंगिक और जरूरी हो गया है क्योंकि वर्तमान समय में मानव अपने स्वार्थ के वशीभूत कोई भी अनुचित कार्य करने और अपने फायदे के लिए हिंसा के लिए भी तत्पर दिखाई देता है। आज के परिवेश में हम जिस प्रकार की समस्याओं और जटिल परिस्थितियों में घिरे हैं, उन सभी का समाधान भगवान महावीर के सिद्धांतों और दर्शन में समाहित है। अपने जीवनकाल में उन्होंने ऐसे अनेक उपदेश और अमृत वचन दिए, जिन्हें अपने जीवन तथा आचरण में अमल में लाकर हम अपने मानव जीवन को सार्थक बना सकते हैं। भगवान महावीर के प्रमुख अमृत वचन - संसार के सभी प्राणी बराबर हैं, अतः हिंसा को त्यागिए और ‘जीओ व जीने दो’ का सिद्धांत अपनाइए। - जिस प्रकार अणु से छोटी कोई वस्तु नहीं और आकाश से बड़ा कोई पदार्थ नहीं, उसी प्रकार अहिंसा क...
जयंती विशेष: आज भी प्रासंगिक है प्रेमचंद का साहित्य

जयंती विशेष: आज भी प्रासंगिक है प्रेमचंद का साहित्य

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- डॉ. वंदना सेन महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद का साहित्य कालजयी है। उन्होंने देश और समाज के बारे में गंभीर चिंता करते हुए अपनी लेखनी चलाई। समाज की जटिलताओं को कहानी और उपन्यासों के माध्यम से जिस प्रकार से प्रस्तुत किया है, उसके बारे में निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि वे आज भी समसामयिक लगती हैं। कहा जाता है कि साहित्य वही है जो हमेशा प्रासंगिक बना रहे। प्रेमचंद ने समाज आधारित साहित्य की रचना की। जो आज भी नवोदित साहित्यकारों के लिए एक सार्थक दिशा का बोध कराता है। वास्तव में प्रेमचंद की रचनाएं समाज का दर्पण हैं। प्रेमचंद जी साहित्यकारों के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए लिखते हैं कि साहित्यकार का काम केवल पाठकों का मन बहलाना नहीं है। यह तो भाटों और मदारियों, विदूषकों और मसखरों का ही काम है। साहित्यकार का पद इससे कहीं ऊंचा है, वह हमारा पथ प्रदर्शक होता है। वह हमारे मनुष्यत्व को जगाता है। हमार...
प्रासंगिक है नव भारत साक्षरता कार्यक्रम

प्रासंगिक है नव भारत साक्षरता कार्यक्रम

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- गणेश कुमार राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में निहित व्यापक और गहरे परिप्रेक्ष्य के साथ ही भविष्य के भारत के सरोकारों के संबंध में 'नव भारत साक्षरता कार्यक्रम' की प्रासंगिकता अतिमहत्वपूर्ण है। भविष्य के शिक्षित भारत की कल्पना वास्तव में तभी साकार होगी जब भारत के सभी नागरिक सुशिक्षित और सुसाक्षर होंगे । राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के पैरा-21.4 में उल्लिखित व्यवस्था के अन्तर्गत निरक्षरता के पूर्ण उन्मूलन को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने 'नव भारत साक्षरता कार्यक्रम' पिछले साल एक अप्रैल को लागू किया था। उत्तर प्रदेश इस संकल्प को पूर्ण करने के लिए सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक रूप से प्रतिबद्ध है। इसके क्रियान्वयन के लिए केंद्र की गाइड लाइंस एवं प्रदेश की भिन्न-भिन्न क्षेत्रों की भौगोलिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के दृष्टिगत विषयवस्तु एवं साक्षर करने के भिन्न-भिन्न कौशलों की रूपरेखा का प्रयोग ...
महावीर जयंती: प्रासंगिक हैं तीर्थंकर भगवान महावीर के विचार

महावीर जयंती: प्रासंगिक हैं तीर्थंकर भगवान महावीर के विचार

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- योगेश कुमार गोयल ‘अहिंसा परमो धर्म’ का सिद्धांत प्रतिपादित करने वाले भगवान महावीर का अहिंसा दर्शन आज सर्वाधिक प्रासंगिक और जरूरी प्रतीत होता है, मानव अपने स्वार्थ के वशीभूत कोई भी अनुचित कार्य करने और अपने फायदे के लिए हिंसा के लिए भी तत्पर दिखाई देता है। प्रतिवर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मोत्सव मनाया जाता है। जैन धर्म के जानकारों के अनुसार भगवान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व बिहार के कुंडलपुर के राजघराने में हुआ था। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल चैत्र शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 03 अप्रैल की प्रातः 6ः24 बजे शुरू होगी, जिसका समापन 04 अप्रैल की प्रातः 8ः05 बजे होगा। ऐसे में महावीर जयंती 04 अप्रैल को है। भगवान महावीर ने जीवन पर्यन्त अपने अमृत वचनों से समस्त मानव जाति को ऐसी अनुपम सौगात दी, जिन पर अमल करके मानव चाहे तो...
प्रासंगिक हैं जन-जन के श्रीराम

प्रासंगिक हैं जन-जन के श्रीराम

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- सुरेन्द्र किशोरी दुनिया में जहां कहीं भी सनातन धर्मावलंबी हैं, वहां मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की पूजा आदर्श के रूप में होती है। खासकर भारतीय धर्म-संस्कृति में भगवान श्रीराम का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। कोटि-कोटि हृदयों में प्रभु श्रीराम के प्रति गहन आस्था है। राष्ट्र जागरण एवं विश्व परिवर्तन के वर्तमान परिवेश में वह और भी अधिक प्रासंगिक एवं पूजनीय बन चुके हैं। उनका शौर्य, उनकी मर्यादा, उनका संघर्ष, उनका अनीति उन्मूलन के प्रति प्रचंड पुरुषार्थ एवं आदर्श राज्य व्यवस्था रामराज्य के सर्व कल्याण की प्रेरक प्रतिष्ठापनाएं जन-जन में उत्कृष्ट भाव-संवेदनाएं जगाती है। प्रखर पुरुषार्थ पराक्रम के लिए प्रेरित करती हैं। वर्तमान में जब अंधकार का युग तिरोहित हो रहा है, नवयुग का सूर्योदय हो रहा है, प्रभु श्रीराम का महान गौरवशाली जीवन दिव्य प्रकाशस्तंभ की तरह मार्गदर्शन करने को पूर्ण तत्पर है। भा...