1 अप्रैल विशेष: बरकरार है मूर्ख दिवस की प्रासंगिकता
- योगेश कुमार गोयल
विश्वभर के लगभग सभी देशों में पहली अप्रैल का दिन ‘फूल्स डे’ अर्थात् ‘मूर्ख दिवस’ के रूप में ही मनाया जाता है। कोई छोटा हो या बड़ा, इस दिन हर किसी को जैसे हंसी-ठिठोली करने का बहाना मिल ही जाता है और हर कोई किसी न किसी को मूर्ख बनाने की चेष्टा करता नजर आता है। लोग एक-दूसरे को किसी तरह का नुकसान पहुंचाए बिना ऐसी असत्य और मनगढंत कल्पनाओं को ही यथार्थ का रूप देकर, जिन पर कोई भी आसानी से विश्वास कर सके, एक-दूसरे को मूर्ख बनाने की चेष्टा करते हैं और अक्सर बहुत चतुर समझे जाने वाले व्यक्ति भी मूर्ख बन ही जाते हैं। शायद यही कारण है कि इस दिन चाहे कोई किसी का कितना ही विश्वासपात्र क्यों न हो, मस्तिष्क में यह बात विराजमान रहती है न कि कहीं यह हमें मूर्ख तो नहीं बना रहा! कई बार होता यह भी है कि लोग कोशिश तो करते हैं दूसरों को मूर्ख बनाने की लेकिन इस कोशिश में खुद ही मूर्ख बन जाते है...