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भारत के मन में रमते हैं श्रीराम

भारत के मन में रमते हैं श्रीराम

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- हृदयनारायण दीक्षित भारत में विजयपर्व का उल्लास है। दिक्काल उत्सवधर्म से आच्छादित हैं। श्रीराम की लंका विजय की तिथि दो दिन बाद है। भारत का मन आनंद मगन हो रहा है। श्रीराम मंगल भवन हैं और अमंगलहारी। वे भारत के मन में रमते हैं। मिले तो राम राम, अलग हुए तो राम राम। राम का नाम हम सब बचपन से सुनते आए हैं। वे धैर्य हैं। सक्रियता हैं। परम शक्तिशाली हैं। भाव श्रद्धा में वे ईश्वर हैं। राम तमाम असंभवों का संगम हैं। मर्यादित आचरण के शिखर हैं। रामकथा के सभी प्रसंग मनभावन हैं। प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रेरक प्रसंग हैं। युद्ध में विजय की इच्छा रहती है। संसार तमाम संघर्षों से भरा पूरा है। भारतीय चिंतन में काम-क्रोध-लोभ को भी शत्रु बताया गया है। सांसारिक अंतर्विरोधों को शत्रु कहा गया है। रामचरितमानस (लंका काण्ड) में कहते हैं कि, 'संसार शत्रु को दृढ निश्चयी रथ पर बैठ कर ही जीता जा सकता है।' रामचरितमानस (...