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लालकिला से प्रधानमंत्री के मन की बात

लालकिला से प्रधानमंत्री के मन की बात

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- ऋतुपर्ण दवे लालकिला की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का इस बार का उद्बोधन काफी अलग था। यूँ कहें कि नए मिजाज और नए रिवाज साथ के साथ मन की बात तो गलत नहीं होगा। हर बार से अलग ‘परिवार जनों’ से शुरुआत कर इतना संकेत दे दिया कि वे न केवल अलग बोलेंगे बल्कि ऐसा बोलेंगे, जिसके राजनीतिक मायने बहुत गहरे होंगे। अपनी सरकार की उपलब्धियों का खाका खींचते हुए बड़ी बेबाकी से 2014 से अब तक के सफर पर प्रकाश डाला। मणिपुर का भी जिक्र कर जताया कि वो भी उतने चिंतित हैं जितने दूसरे। गुलामी के एक हजार वर्षों की बात कह उन्होंने कहा कि हम ऐसे संधिकाल में हैं जहाँ आगे के हजार साल की दिशा तय करनी है। युवाओं का कई बार जिक्र कर भरोसा जताते हुए कहा दुनिया में भारत अकेला ऐसा देश है जहां 30 वर्ष के युवा जनसंख्या में अधिक हैं, यही हमारी ताकत हैं। इनकी कोटि-कोटि भुजाएं और मस्तिष्क की क्षमताएँ देश को दुनिया में अलग ...
भारत के ऐतिहासिक स्थानों को प्रेरणास्थल बनाने की यात्रा लाल किले से हो रही है शुरूः अमित शाह

भारत के ऐतिहासिक स्थानों को प्रेरणास्थल बनाने की यात्रा लाल किले से हो रही है शुरूः अमित शाह

देश
नई दिल्ली (New Delhi)। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने मंगलवार को लाल क़िले (Red Fort) पर लाइट एंड साउंड शो ‘जय हिंद’ का उद्घाटन (Light and sound show 'Jai Hind' inaugurated) किया। इस अवसर पर केन्द्रीय संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी, संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी और दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इस अवसर पर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यहां मातृभूमि शो भी दिखाया जाएगा जिसके माध्यम से भारत के हज़ारों साल के इतिहास को सामंजस्य के साथ समाहित करने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि आज़ादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में ये कार्यक्रम शुरू हो रहा है और भारत के ऐतिहासिक स्थानों को प्रेरणास्थल बनाने की ये यात्रा आज यहां से शुरू हो रही है। अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने, आज़ादी के अमृत वर्ष में...

मोदी के भाषण पर विवाद फिजूल

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक लाल किले की प्रचारी से हर साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री जो भाषण देते हैं, उनसे देश में कोई विवाद पैदा नहीं होता। वे प्रायः विगत वर्ष में अपनी सरकार द्वारा किए गए लोक-कल्याणकारी कामों का विवरण पेश करते हैं और अपनी भावी योजनाओं का नक्शा पेश करते हैं। इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण के लगभग एक घंटे के हिस्से पर किसी विरोधी ने कोई अच्छी या बुरी टिप्पणी नहीं की लेकिन सिर्फ दो बातें को लेकर विपक्ष ने उन पर गोले बरसाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेस के नेताओं को बड़ा एतराज इस बात पर हुआ कि मोदी ने महात्मा गांधी, नेहरू और पटेल के साथ-साथ इस मौके पर वीर सावरकर और श्यामाप्रसाद मुखर्जी का नाम क्यों ले लिया? चंद्रशेखर, भगत सिंह, बिस्मिल आदि के नाम भी मोदी ने लिए और स्वातंत्र्य-संग्राम में उनके योगदान को प्रणाम किया। क्या इससे नेहरू जी की अवमानना हुई है? कतई नहीं। फिर भ...

विकसित भारत के विचारणीय बिंदु

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से विकसित भारत का मंसूबा व्यक्त किया। यह उनका तत्कालिक संकल्प मात्र नहीं है। बल्कि उनकी सरकार विगत आठ वर्ष से इसी संकल्प को सिद्ध करने में लगी है। लेकिन परिवारवाद और भ्रष्टाचार भारत को विकसित बनाने में बाधक है। नरेन्द्र मोदी ने इस पर प्रहार किया है। भारत में प्रजातंत्र है। सरकार के अपने संवैधानिक दायित्व होते हैं। मोदी सरकार इस जिम्मेदारी का निर्वाह कर रही है। लेकिन भारत को विकसित बनाने के अभियान में जनता का योगदान भी अपरिहार्य होता है। वह राजनीति में परिवारवाद को हतोत्साहित कर सकती है। ऐसी पार्टियों की पहली चिंता अपने कुनबे को लेकर होती है। उस पार्टी में चाहे जितने वरिष्ठ और ईमानदार नेता हों, लेकिन नेतृत्व तय करने का अंदाज राजतंत्र जैसा होता है। पार्टी सुप्रीमो के पुत्र या पुत्री को ही पूरी पार्टी उत्तराधिकार में म...