लालकिला से प्रधानमंत्री के मन की बात
- ऋतुपर्ण दवे
लालकिला की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का इस बार का उद्बोधन काफी अलग था। यूँ कहें कि नए मिजाज और नए रिवाज साथ के साथ मन की बात तो गलत नहीं होगा। हर बार से अलग ‘परिवार जनों’ से शुरुआत कर इतना संकेत दे दिया कि वे न केवल अलग बोलेंगे बल्कि ऐसा बोलेंगे, जिसके राजनीतिक मायने बहुत गहरे होंगे। अपनी सरकार की उपलब्धियों का खाका खींचते हुए बड़ी बेबाकी से 2014 से अब तक के सफर पर प्रकाश डाला। मणिपुर का भी जिक्र कर जताया कि वो भी उतने चिंतित हैं जितने दूसरे। गुलामी के एक हजार वर्षों की बात कह उन्होंने कहा कि हम ऐसे संधिकाल में हैं जहाँ आगे के हजार साल की दिशा तय करनी है। युवाओं का कई बार जिक्र कर भरोसा जताते हुए कहा दुनिया में भारत अकेला ऐसा देश है जहां 30 वर्ष के युवा जनसंख्या में अधिक हैं, यही हमारी ताकत हैं। इनकी कोटि-कोटि भुजाएं और मस्तिष्क की क्षमताएँ देश को दुनिया में अलग ...