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यूएन में इस्लामोफोबिया पर आए प्रस्ताव की वास्तविकता व्यवहार में उलट !

यूएन में इस्लामोफोबिया पर आए प्रस्ताव की वास्तविकता व्यवहार में उलट !

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- डॉ. मंयक चतुर्वेदी अभी कुछ ही दिन पहले यूएन में 'इस्लामोफोबिया' पर प्रस्ताव लाया गया है। जिसमें पूरी दुनिया से यह कहा गया कि 'इस्लाम से नफरत' करने वालों पर अपने देशों में सख्त कदम उठाएं। कहा जा रहा था कि इस्लाम का आतंकवाद से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं । इस्लाम तो शांति का मजहब है, वह तो आपसी प्रेम और भाईचारे में विश्वास रखता है और अब इनका ये प्रेम देखिए कि जिसे ये रमजान का पाक महीना कहते हैं, उसी पवित्र महीने में दुनिया के तमाम देशों में इस्लामिक आतंकवादी घटनाएं घटी हैं। रूस की राजधानी मॉस्को स्थित कॉन्सर्ट हॉल में आतंकी हमले को अंजाम देना हो या मध्यप्रदेश के इंदौर में दो हिन्दू युवाओं को इसलिए घेर कर मार देने के लिए आतुर हो जाना हो, जिसमें कि वे अपने ई-रिक्शा में भगवान श्रीराम जी का भजन सुन रहे थे । ताजा घटनाक्रम महाराष्ट्र में नासिक का है, जहां के जय भवानी इलाके में हजारों मुस्लिम...
‘द केरल स्टोरी’- मन को झकझोर देने वाली एक सचाई

‘द केरल स्टोरी’- मन को झकझोर देने वाली एक सचाई

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- वसुधा ‘कनुप्रिया’ सच हमेशा ही कड़वा होता है, बहुत कड़वा। द केरल स्टोरी --- जिसे निर्माता विपुल शाह और निर्देशक सुदीप्तो सेन ने "सत्य घटनाओं पर आधारित" कह कर सिनेमा के परदे पर उतरा है -- मानवीय संवेदना को झंकझोर कर रख देने वाली फिल्म है। जो भी लोग सालों से अख़बार/मैगज़ीन पढ़ते रहे हैं उन्होनें आईसिस (आई.एस.आई.एस.) की बर्बरता के क़िस्से पढ़े हैं, मीडिया में देखे भी हैं। उन्हें जानकारी है की 'सेक्स स्लेव' क्या होती हैं, किस तरह उन्हें अमानवीय रूप से दर्जनों लोग एक के बाद एक रेप करते हैं। तालिबानी सोच के तहत किस तरह लोगों को सरेआम सज़ाएं दी जाती रही हैं, कभी हाथ-पैर काट कर तो कभी गोली मारकर। इन ख़बरों की सत्यता पर कभी प्रश्नचिह्न नहीं लगाया गया। तब फिल्म 'द केरल स्टोरी' में यही दृश्य एक धर्मान्तरित भारतीय लड़की के हवाले से दिखाए जाने पर राजनीतिक तबकों में खलबली क्यों मची है? यह तब, जब एक भुक्तभोगी...
गढ़े जा रहे शब्द और निराशा की आहट

गढ़े जा रहे शब्द और निराशा की आहट

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- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा विश्व की प्रमुख डिक्शनरियां हर साल शामिल किए गए प्रमुख शब्द जारी करती हैं। यह शब्द दुनिया की हकीकत बयां करने के लिए काफी होते हैं। इसको साल के पहले नंबर के एक शब्द से ही नहीं आंका जा सकता। साल के अन्य शब्दों को भी देखना होता है। इनसे साफ हो जाता है कि दुनिया जा किधर रही है। लोगों में क्या हलचल है। सकारात्मकता या नकारात्मकता कहां तक पहुंच रही है। इनमें भविष्य का संदेश छिपा होता है। साल 2022 के प्रमुख शब्द गैसलाइटिंग हो या परमाक्राइसिस या कीव हो या पार्टीगेट, कोविड हो या वार्महाउस यह सभी शब्द प्रमुख शब्दों के रूप में चयनित किए गए हैं। यह वैश्विक संकट की ओर इशारा कर रहे हैं। ब्रिटेन के अंग्रेजी शब्दकोष कोलिन्स द्वारा इस वर्ष के लिए घोषित वर्ड ऑफ द ईयर परमाक्राइसिस हो या अमेरिका की डिक्शनरी मेरियम वेबस्टर का गैसलाइटिंग। इन दोनों से आज की दुनिया के हालात साफ हो जा...
अखंड भारत को साकार करेगी समान नागरिक संहिता

अखंड भारत को साकार करेगी समान नागरिक संहिता

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- विजय विक्रम सिंह सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने पिछले दिनों 'समान नागरिक संहिता' (यूनिफॉर्म सिविल कोड) लागू करने के प्रावधान वाले प्राइवेट मेंबर बिल को राज्यसभा में पेश किया। विपक्षी विरोध पर सरकार ने कहा कि बिल पेश करना उनका अधिकार है। विपक्ष ने बिल वापस लेने की मांग की तो सभापति जगदीप धनखड़ ने वोटिंग करा दी। पक्ष में 63 और विरोध में 23 वोट पड़े। समान नागरिक संहिता का मतलब सभी नागरिकों के लिए समान कानून। भारत में क्रिमिनल लॉ समान रूप से लागू होते हैं, लेकिन विवाह, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार जैसे सिविल मामलों में ऐसा नहीं है। ऐसे मामलों में पर्सनल लॉ लागू होते हैं। अलग-अलग धर्म को मानने वाले लोगों के लिए अलग-अलग कानून हैं। तीन तलाक, अनुच्छेद-370 की समाप्ति और नागरिकता संशोधन कानून। शायद ही किसी सरकार ने इतनी तेज रफ्तार के साथ घोषणा पत्र को अमली जामा पहनाया हो, जिस दृढ़ता के साथ नरेन्द्र मोद...