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राहुल गांधी कभी पढ़ भी लेते मुस्लिम लीग का इतिहास

राहुल गांधी कभी पढ़ भी लेते मुस्लिम लीग का इतिहास

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- आर.के. सिन्हा राहुल गांधी ने मुस्लिम लीग को सेक्युलर पार्टी होने का प्रमाणपत्र देकर एक बार फिर साबित कर दिया कि उनकी इतिहास की समझ एक स्कूली बच्चे से भी कमजोर है। जाहिर है कि अमेरिका यात्रा पर गये राहुल गांधी के बयान पर हंगामा खड़ा हो गया है। अब सभी कांग्रेसी राहुल गांधी का बचाव करने में भी लगे हैं। यह भारत में ही संभव है कि मोहम्मद अली जिन्ना की जिस ऑल इंडिया मुस्लिम लीग ने भारत को तोड़ा था, उससे मिलते-जुलते नाम से इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) भारत विभाजन के कुछ माह बाद ही एक राजनीतिक पार्टी के रूप में सामने आई। इसका गठन 10 मार्च 1948 को हुआ। ये मुख्य रूप से केरल में ही सक्रिय रही है। कभी-कभी तमिलनाडु में भी चुनाव लड़ती रही है। क्या भारतीय कांग्रेस या भारतीय समाजवादी पार्टी के नाम से कोई पार्टी पाकिस्तान में बन सकती थी? ऐसी ही एक गलती भारतीय जनता पार्टी के महा शक्तिशाली नेता औ...
पहले जमीयत के महमूद इतिहास तो पढ़ लेते!

पहले जमीयत के महमूद इतिहास तो पढ़ लेते!

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- डॉ. मयंक चतुर्वेदी जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रमुख महमूद मदनी का यह कहना, 'इस्लाम एक ऐसा धर्म है जो बाहर से आया है, सरासर गलत और निराधार है। इस्लाम सभी धर्मों में सबसे पुराना धर्म है। इस्लाम भारत का ही मजहब है और सारे मजाहिद और सारे धर्मों में सबसे पुराना मजहब है। इस्लाम के आखिरी इसी दिन को मुकम्मल करने के लिए तशरीफ लाए थे।' बहुत आश्चर्य है ! एक नैरेटिव गढ़ने के लिए वे झूठ भी बोलते हैं तो इतनी सफाई से। जिस खुदा और उनके शब्दों में पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम(प्रोफेट मोहम्मद) का वे जो हवाल देते हैं, कम से कम अपनी नहीं तो अपने खुदा एवं अपने ईश्वर का तो बोलते वक्त ध्यान रख लेते? देखा जाए तो इस समय नैरेटिव गढ़ने का दौर चल पड़ा है। कभी-कभी लगता है कि 21वीं सदी विकास के लिए कम नैरेटिव के लिए जरूर अधिक याद की जाएगी । आखिर अब 'ईसाइयत' के बाद सार्वजनिक मंच से 'इस्लाम' को भी झूठ के सह...