Friday, November 22"खबर जो असर करे"

Tag: Rashtriya Swayamsevak Sangh

भारत को सशक्त बनाने के लिए पंच परिवर्तन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

भारत को सशक्त बनाने के लिए पंच परिवर्तन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

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- प्रहलाद सबनानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए पिछले लगभग 99 वर्षों से निरंतर कार्य कर रहा है। भारतीय समाज में सकारात्मक परिवर्तन को गति देने एवं समाज में अनुशासन व देशभक्ति के भाव को बढ़ाने के उद्देश्य से माननीय सर संघचालक मोहन भागवत ने समाज में पंच परिवर्तन का आह्वान किया है ताकि अनुशासन एवं देशभक्ति से ओतप्रोत युवा वर्ग अनुशासित होकर अपने देश को आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य करे। इस पंच परिवर्तन में पांच आयाम शामिल किए गए हैं - (1) स्व का बोध अर्थात स्वदेशी, (2) नागरिक कर्तव्य, (3) पर्यावरण, (4) सामाजिक समरसता एवं (5) कुटुम्ब प्रबोधन। इस पंच परिवर्तन कार्यक्रम को सुचारू रूप से लागू कर समाज में बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। स्व के बोध से नागरिक अपने कर्तव्यों के प्रति सजग होंगे। नागरिक कर्तव्य बोध अर्थात कानून की पालना से राष्ट्र समृद्ध व उन्नत होगा। सा...
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की यात्रा के गौरवशाली 98 वर्ष

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की यात्रा के गौरवशाली 98 वर्ष

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- बृजनंदन राजू हिन्दू संगठन और राष्ट्र को परम वैभव पर ले जाने के जिस उद्देश्य को लेकर सन् 1925 में विजयादशमी के दिन नागपुर में डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी, उस ध्येय पथ पर संघ निरन्तर बढ़ता जा रहा है। संघ अपनी विकास यात्रा के 98 वर्ष पूर्ण कर चुका है। उपेक्षा व विरोध का सतत सामना करते हुए अत्यंत विपरीत परिस्थितियों से पार पाते हुए संघ कार्य आज अनुकूलता की स्थिति में पहुंचा है। इन 98 वर्षों की यात्रा में हिन्दू संगठन के साथ-साथ आम लोगों का विश्वास जीतने और राष्ट्र जागरण के प्रयास में संघ पूर्णतया सफल रहा है। देश दुनिया में आरएसएस नाम से विख्यात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व का सबसे बड़ा सामाजिक संगठन है। संघ की तुलना किसी दूसरे संगठन से नहीं कर सकते क्योंकि तुलना करने के लिए भी इसके जैसा कोई होना चाहिए। इसीलिए बहुत से लोग स्वार्थवश संघ को बुरा-भला ...
आपातकाल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

आपातकाल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

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- डॉ. सौरभ मालवीय आपातकाल को स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे विवादास्पद एवं अलोकतांत्रिक काल कहा जाता है। आपातकाल को 48 वर्ष बीत चुके हैं, परन्तु हर वर्ष जून मास आते ही इसका स्मरण ताजा हो जाता है। इसके साथ ही आपातकाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका भी स्मरण हो जाती है। संघ ने आपातकाल का कड़ा विरोध किया था। संघ के हजारों कार्यकर्ता जेल गए थे एवं बहुत से कार्यकर्ताओं ने बलिदान दिया था। उल्लेखनीय है कि 12 जून 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया था कि इंदिरा गांधी ने वर्ष 1971 के लोकसभा चुनाव में अनुचित तरीके अपनाए। न्यायालय ने उन्हें दोषी ठहराते हुए उनका चुनाव रद्द कर दिया था। इंदिरा गांधी के चुनाव क्षेत्र रायबरेली से उनके प्रतिद्वंद्वी राज नारायण थे। यद्यपि चुनाव परिणाम में इंदिरा गांधी को विजयी घोषित किया गया था। किन्तु इस चुनाव में पराजित हुए राज नारायण चुनावी प्रक्रिया ...
सामाजिक समरसता पर सहज अमल

सामाजिक समरसता पर सहज अमल

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने शताब्दी वर्ष की ओर अग्रसर है। उसकी यह यात्रा समाजिक समरसता और संगठन पर आधारित है। इसका निरन्तर विस्तार हो रहा है। समाज के चिंतन और व्यवहार में व्यापक बदलाव आ रहा है। राष्ट्र को सर्वोच्च मानते हुए कार्य करने की प्रेरणा संघ से मिल रही है। भेदभाव से मुक्त समाज का विचार प्रबल हो रहा है। संघ ने यह विलक्षण कार्य अत्यंत सहज और स्वाभाविक रूप में किया है। संघ की शाखाएं इसी भावभूमि पर चलती हैं। संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार युगदृष्टा थे। शाखाओं में जाने मात्र से भेदभाव का विचार तिरोहित हो जाता है। इसीलिए कहा गया कि संघ को समझने के लिए शाखाओं में जाना अपरिहार्य है। यहां समरसता का स्वाभाविक वातावरण होता है। यहां होने वाले कार्यक्रम या सहभोज आदि समरसता के अघोषित उपकरण हैं। इनसे लोगों के विचार मनोवैज्ञानिक रूप में समरसता के अनुकूल हो जाते हैं। संघ प्...