कुटुंब प्रबोधन का प्रेरक श्रीराम परिवार
- शिवेश प्रताप
रामचरितमानस एक ओर राम का जीवन चरित्र व मनुष्य जाति के अनुभवों का उत्कट निचोड़ है तो दूसरी ओर यह 'नाना पुराण निगमागम सम्मतं यद्' होकर सनातन धर्म के सभी मानक ग्रंथों के अर्क स्वरूप भी है, जिसे मानस के अंत में 'छहों शास्त्र सब ग्रन्थन को रस' कह कर दोबारा पुष्ट कर दिया गया है। मनुष्य से पुरुषोत्तम बनकर यानी मृत्यु से अमरत्व की ओर बढ़ने की यात्रा के पथ प्रदर्शक श्रीराम हैं। अपने भीतर छुपी संभावना और सुख-शांति की अभीप्सा को पूरा कर सकने की आकांक्षा के बीच, रामचरितमानस में राम इस मार्ग का संकेत हैं कि मनुष्य के स्वरूप को चरितार्थ करने और उससे ऊपर उठने और अपने भीतर निहित संभावनाओं को साकार करने का कोई लघुमार्ग (शॉर्टकट) नहीं हैं।
पारिवारिक, सामाजिक और लौकिक जीवन के कर्तव्य परायणता में राम ने अपने आचरण और व्यवहार से जो मानक स्थापित किए, उन मानकों में यह संभावना हमेशा निहित रही ...