Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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कुटुंब प्रबोधन का प्रेरक श्रीराम परिवार

कुटुंब प्रबोधन का प्रेरक श्रीराम परिवार

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- शिवेश प्रताप रामचरितमानस एक ओर राम का जीवन चरित्र व मनुष्य जाति के अनुभवों का उत्कट निचोड़ है तो दूसरी ओर यह 'नाना पुराण निगमागम सम्मतं यद्' होकर सनातन धर्म के सभी मानक ग्रंथों के अर्क स्वरूप भी है, जिसे मानस के अंत में 'छहों शास्त्र सब ग्रन्थन को रस' कह कर दोबारा पुष्ट कर दिया गया है। मनुष्य से पुरुषोत्तम बनकर यानी मृत्यु से अमरत्व की ओर बढ़ने की यात्रा के पथ प्रदर्शक श्रीराम हैं। अपने भीतर छुपी संभावना और सुख-शांति की अभीप्सा को पूरा कर सकने की आकांक्षा के बीच, रामचरितमानस में राम इस मार्ग का संकेत हैं कि मनुष्य के स्वरूप को चरितार्थ करने और उससे ऊपर उठने और अपने भीतर निहित संभावनाओं को साकार करने का कोई लघुमार्ग (शॉर्टकट) नहीं हैं। पारिवारिक, सामाजिक और लौकिक जीवन के कर्तव्य परायणता में राम ने अपने आचरण और व्यवहार से जो मानक स्थापित किए, उन मानकों में यह संभावना हमेशा निहित रही ...
अखण्ड रामायण है भारत का राष्ट्र जीवन

अखण्ड रामायण है भारत का राष्ट्र जीवन

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- हृदयनारायण दीक्षित रामचरितमानस विश्वकाव्य की अमूल्य निधि है। रामचरितमानस में प्रगतिशील काव्य सृजन के भी गुण हैं। भारत में भिन्न भिन्न विषयों पर अनेक ग्रंथ प्राचीनकाल से ही लिखे जा रहे हैं। लेकिन जीवन के सभी पहलुओं को समेटते हुए तुलसी की रामकथा सामान्य जनों में भी लोकप्रिय है। पुरोहित का काम राष्ट्रजागरण है। वेदों में कहा गया है - राष्ट्रे जाग्रयाम, वयं पुरोहितः। रामचरितमानस में आदर्श राज समाज के स्वप्न हैं। रामकथा में आदर्श राज्य की कल्पना भी है। राज्य के अनेक मॉडल बताए जाते हैं। मार्क्सवादी राज्य का मॉडल अलग है। समाजवादी राज्य की कल्पना भी अलग है। राज्य का एक मॉडल इस्लामी भी था। यह साम्प्रदायिक था। गैर मुस्लिमों के साथ भेदभाव वाला था। लेकिन रामराज्य की बात दूसरी है। संप्रति कुछ राजनेता मध्यकाल की सुंदर रचना रामचरितमानस पर घटिया ढंग से आक्रामक हैं। वह समाजवाद की बात करते हैं। वह रामचरित...