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मथुरा में रेल हादसा : मालगाड़ी के 27 डिब्बे पटरी से उतरे, तीन लाइनों पर रेल यातायात ठप

मथुरा में रेल हादसा : मालगाड़ी के 27 डिब्बे पटरी से उतरे, तीन लाइनों पर रेल यातायात ठप

Breaking News, देश
-मथुरा दिल्ली के बीच चौथी लाइन साढ़े दस हो सकी चालू मथुरा। मथुरा जंक्शन (Mathura Junction) पर बुधवार रात कोयला लदी मालगाड़ी (Goods train loaded with coal) के 27 डिब्बे पटरी (27 coaches derailed) से उतर गए। कपलिंग टूटने से वैगन एक दूसरे पर चढ़ गए और पलट गए। हादसे से डाउन और अप लाइनों (Down and up lines) पर कोयले का ढेर लग गया, जिससे रेल यातायात ठप हो गया। 12 ट्रेनों का रूट डायवर्ट किया गया है। हालांकि तमाम कोशिशों के बाद मथुरा-दिल्ली के बीच साढ़े दस बजे चौथी लाइन चालू कर दी गई। अन्य तीनों लाइनों पर रेल यातायात फिलहाल ठप है। रेलवे की राहत टीम और अधिकारीगण मौके पर मौजूद हैं। स्टेशन डायरेक्टर मथुरा जंक्शन एसके श्रीवास्तव ने हादसे की पुष्टि की है। मालगाड़ी नंबर एसटीपीबी झारखंड से सूरतगढ़ थर्मल प्लांट के लिए कोयला लेकर जा रही थी। इस गाड़ी में 59 डिब्बे थे। बुधवार रात करीब 07ः54 बजे जब यह गाड़ी वृंदा...
कैसे रुकें रेल हादसे और पुलों के टूटने के मामले

कैसे रुकें रेल हादसे और पुलों के टूटने के मामले

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- आर.के. सिन्हा पहले ओडिशा में हुई दर्दनाक रेल दुर्घटना और उसके बाद बिहार में एक पुल का टूटना। इन दोनों घटनाओं के कारण सारा देश उदास भी है और गुस्से में भी है। उदासी मासूमों के मारे जाने पर है और गुस्सा इसलिए है कि ये हादसे थम ही नहीं रहे। पिछली 2 जून को ओडिशा में 3 ट्रेनें आपस में भिड़ गईं। इनमें लगभग तीन सौ मासूम यात्री मारे गए और ना जाने कितने हजार घायल हो गए। यह दुर्घटना भारत में अब तक की सबसे घातक रेल दुर्घटनाओं में से एक है। ऐसा माना जाता था कि पहली ट्रेन पटरी से उतर गई थी और इसके कुछ डिब्बे पलट गए और विपरीत ट्रैक में गिर गए थे, जहां वे दूसरी ट्रेन से टकरा गए थे। हादसे में एक मालगाड़ी भी चपेट में आ गई। देखिए, यह तो कोई भी मानेगा कि दुनिया भर में हर क्षण कहीं न कहीं कोई न कोई हादसा हो ही रहा है। तेज रफ्तार की जिंदगी में यह अनहोनी भले हो मगर हो रही है, तो हो रही है। असल में 'जीरो एक्स...
बढ़ती तकनीक और भीषण होते रेल हादसे!

बढ़ती तकनीक और भीषण होते रेल हादसे!

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- ऋतुपर्ण दवे बेशक बालासोर रेल दुर्घटना देश क्या दुनिया के भीषणतम हादसों में एक है। याद भी नहीं कि देश में कभी एक साथ तीन रेलें इस तरह टकराई हों, जिसमें दो सवारी गाड़ी हों। दुर्घटना से जो एक सच सामने आया है वो बेहद दुखद और चौंकाने वाला है। रिजर्व बोगियों के अलावा बहुत-सी मौतें जनरल बोगियों में सवारों की भी हुईं जिनकी पहचान कैसे हो पाएगी? उससे भी बड़ी सच्चाई ये कि देश की अब तक सबसे ज्यादा रेल दुर्घटनाएं स्टेशनों पर पहुंचने से थोड़ा पहले हुईं जिसका मतलब जब अप और डाउन दोनों ट्रैक किसी स्टेशन पर पहुंचने से पहले यात्री सुविधाओं की दृष्टि से कई लूप ट्रैक में विभाजित हो यात्रियों खातिर प्लेटफॉर्म पर गाड़ियों को पहुंचाते हैं। यहां आगे जा रही या पीछे से आ रही ट्रेनों की स्थिति और निगरानी की जरा-सी चूक हादसों में बदल जाती है। यकीनन ट्रेनों के परिचालन के लिए नित नई उन्नत और नवीनतम तकनीक विकसित होती ...