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राहुल गांधी कभी पढ़ भी लेते मुस्लिम लीग का इतिहास

राहुल गांधी कभी पढ़ भी लेते मुस्लिम लीग का इतिहास

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- आर.के. सिन्हा राहुल गांधी ने मुस्लिम लीग को सेक्युलर पार्टी होने का प्रमाणपत्र देकर एक बार फिर साबित कर दिया कि उनकी इतिहास की समझ एक स्कूली बच्चे से भी कमजोर है। जाहिर है कि अमेरिका यात्रा पर गये राहुल गांधी के बयान पर हंगामा खड़ा हो गया है। अब सभी कांग्रेसी राहुल गांधी का बचाव करने में भी लगे हैं। यह भारत में ही संभव है कि मोहम्मद अली जिन्ना की जिस ऑल इंडिया मुस्लिम लीग ने भारत को तोड़ा था, उससे मिलते-जुलते नाम से इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) भारत विभाजन के कुछ माह बाद ही एक राजनीतिक पार्टी के रूप में सामने आई। इसका गठन 10 मार्च 1948 को हुआ। ये मुख्य रूप से केरल में ही सक्रिय रही है। कभी-कभी तमिलनाडु में भी चुनाव लड़ती रही है। क्या भारतीय कांग्रेस या भारतीय समाजवादी पार्टी के नाम से कोई पार्टी पाकिस्तान में बन सकती थी? ऐसी ही एक गलती भारतीय जनता पार्टी के महा शक्तिशाली नेता औ...
धनाढ्य प्रवासी भारतीय और राहुल गांधी की ओछी सियासत

धनाढ्य प्रवासी भारतीय और राहुल गांधी की ओछी सियासत

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- कमलेश पांडेय पिछले तीन दशकों में भारतीय राजनीति में दो महत्वपूर्ण बदलाव महसूस किए जा रहे हैं। इन्हें नई आर्थिक नीतियों का राजनीतिक साइड इफैक्ट्स कहा जा सकता है। पहला, नेताओं व उनके भरोसेमंद कार्यकर्ताओं के बीच विश्वास दिन ब दिन घटता जा रहा है और ग्लोबल-नेशनल पीआर एजेंसी इस जगह को तेजी से भरती जा रही हैं। दूसरा, राजनेताओं और नौकरशाहों की अंदरुनी सांठगांठ औद्योगिक घरानों व कारोबारियों से बढ़ती जा रही है और उनके मनमाफिक कानून बदले जा रहे हैं। देखा जाए तो इन दोनों घटनाओं की वजह से समाजवादी लोकतंत्र, कब पूंजीवादी लोकतंत्र में तब्दील हो गया, पता ही नहीं चला! आहिस्ता-आहिस्ता यह प्रक्रिया और तेज ही होती जा रही है, जिससे पढ़े-लिखे और पैसे वाले लोगों के बजाय आम आदमी के हित ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं, नकारात्मक अर्थों में। जिस हिसाब से व्यक्ति विशेष के खर्चे बढ़े हैं, उत्तरदायित्व बढ़ रहे हैं, आमदनी ...
राहुल गांधी की संसदीय अयोग्यताः साजिश या सियासत

राहुल गांधी की संसदीय अयोग्यताः साजिश या सियासत

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- विकास सक्सेना मानहानि के मामले में दो साल की सजा मिलने से संसद सदस्यता के अयोग्य हो चुके कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस सजा के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील नहीं की है। दिग्गज वकीलों की भारी भरकम फौज होने के बावजूद कांग्रेस के सबसे कद्दावर नेता की संसद सदस्यता बचाने वाली अपील में देरी से लोगों के मन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। वे समझ नहीं पा रहे कि 10 दिन से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील न करना कांग्रेस की राजनैतिक रणनीति का हिस्सा है या फिर राहुल गांधी किसी गहरी सियासी साजिश का शिकार हो रहे हैं। हालांकि सोशल मीडिया पर हो रही चर्चा के दबाव में माना जा रहा है कि राहुल गांधी के वकील जल्द ही इस मामले में ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। दरअसल लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी जनसभा के दौरान उन्होंने कथित तौर पर मोदी उपनाम पर आपत्तिजन...
गांधी परिवार, फितरत में अहंकार

गांधी परिवार, फितरत में अहंकार

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- श्याम जाजू राहुल गांधी के राजनीतिक जीवन में सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए बेबुनियाद बातें करना, गलत शब्दों के प्रयोग, अनावश्यक लांछन लगाने की प्रवृत्ति नई बात नहीं है। ऐसे अनेक प्रसंग हैं। इससे वह देश में हास्यापद हो गए हैं। लोग चटखारे लेते हैं। इससे बड़ा नुकसान उनकी पार्टी को तो हुआ ही है, साथ ही गांधी परिवार चरित्र चर्चा के दायरे में आ गया है। सूरत के विधायक पूर्णेश मोदी का राहुल के ऐसे ही बयान पर आपराधिक मानहानि का मुकदमा सुर्खियों में हैं। इस मुकदमे के अदालती फैसले से राहुल ने संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित हो गए हैं। यह कहने में संकोच नहीं है कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर राहुल का यही अतिरेक ही इस गति का कारण बना। 2019 में कर्नाटक की एक सभा में राहुल ने प्रधानमंत्री की पिछड़ी जाति का अपमान करते हुए कहा था कि देश के सब मोदी चोर क्यों होते हैं। यही वो बयान है जिस पर अदालत ने...
कांग्रेस के लिए ‘राहु’ बन गए हैं राहुल गांधी: शिवराज सिंह

कांग्रेस के लिए ‘राहु’ बन गए हैं राहुल गांधी: शिवराज सिंह

देश, मध्य प्रदेश
-पूरे देश में तो अमृतकाल चल रहा और कांग्रेस में राहुकाल: मुख्यमंत्री भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि राहुल गांधी को न तो राजनीति की जानकारी है और न ही राष्ट्रनीति की। जहां पूरे देश में अमृतकाल चल रहा है तो वहीं कांग्रेस में राहुकाल चल रहा है। राहुल गांधी कांग्रेस के लिए राहु बन गए हैं। मुख्यमंत्री चौहान बुधवार शाम को अपने निवास कार्यालय समत्व भवन में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर राहुल नेहरू गांधी परिवार से न होते तो कहां होते, यह सारा देश जानता है। यह बताने की जरूरत नहीं है, लेकिन गांधी नेहरू परिवार के गुलाम नेता उनको जबरदस्ती राष्ट्रीय नेता बनाने पर तुले हुए हैं। वास्तविकता यह है कि राहुल गांधी गांधी नेहरू परिवार के सबसे असफल सबसे कमजोर गैर जिम्मेदार, लापरवाह और अहंकारी नेता है। उन्होंने...
राहुल के आचरण से भारत की गरिमा पर चोट

राहुल के आचरण से भारत की गरिमा पर चोट

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- हृदयनारायण दीक्षित राजनीति का सांस्कृतिक होना अनिवार्य है। संस्कृतिविहीन राजनीति कलहपूर्ण होती है। ऐसी राजनीति के संचालक और नेता देश को परेशानी में डालने वाले होते हैं। उनका आचरण उनके लिए भी फलप्रद नहीं होता। वे स्वयं की भी बेइज्जती कराते हैं। कांग्रेस के नेता और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अपने निराधार वक्तव्यों से जगहंसाई करा रहे हैं। उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में अपने देश भारत के सम्बंध में अनर्गल टिप्पणियां की हैं। कैम्ब्रिज में उन्होंने कहा- 'भारत की संवैधानिक संस्थाएं सत्ता पक्ष के नियंत्रण में हैं।' राहुल जी स्वतंत्र न्यायपालिका द्वारा भिन्न-भिन्न विषयों पर दिए गए निर्णयों पर ध्यान नहीं देते। सर्वोच्च न्यायालय ने अभी चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के सम्बंध में विशेष प्रकार का निष्कर्ष दिया है। न्यायपीठ ने हिन्दू आस्था को भारत के लोगों की जीवनशैली बताया है। देश की न्यायपालिका संवैधा...
राहुलः खुदी को कर बुलंद इतना कि…

राहुलः खुदी को कर बुलंद इतना कि…

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक राहुल गांधी का भाषण पहले कैंब्रिज विश्वविद्यालय में हुआ। इसके बाद ब्रिटिश संसद और फिर लंदन के चेथम हाउस में हुआ। इन तीनों संस्थाओं में मैं पिछले 50-55 साल से जाता रहा हूं। मुझे आश्चर्य हुआ कि हमारे नेताओं में एक नेता इतना योग्य निकला कि इन विश्व-प्रसिद्ध संस्थाओं में भाषण देने के लिए उसे बुलाया गया। मेरा सीना गर्व से फूल गया। लेकिन सच यह है कि इन संस्थाओं के सभा भवनों को कोई भी किराये पर बुक कर सकता है। राहुल गांधी विपक्ष के नेता हैं और सांसद हैं। इस नाते सरकार की आलोचना करने का उन्हें पूरा अधिकार है लेकिन यह काम बड़ी सावधानी से किया जाना चाहिए। ऐसी अतिवादी बातें नहीं कही जानी चाहिए जिनसे देश की छवि बिगड़ती हो, हालांकि भाजपा के प्रवक्ता जरूरत से ज्यादा परेशान मालूम पड़ते हैं। उन्हें क्या यह पता नहीं है कि विदेशी लोग राहुल की बातों को उतना महत्व भी नहीं देते, जितना हमार...
मोहन भागवत और राहुल गांधी

मोहन भागवत और राहुल गांधी

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक देश के अखबारों में छपे दो भाषणों पर आपका ध्यान जाए तो आपको आनंद और दुख एक साथ होंगे। आनंद देने वाला भाषण तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक के मुखिया मोहन भागवत का है और दूसरा दुखद भाषण राहुल गांधी का है। भागवत ने कहा है कि अंग्रेजों के आने के पहले भारत में 70 प्रतिशत लोग शिक्षित थे जबकि इंग्लैंड में उस समय सिर्फ 17 प्रतिशत अंग्रेज शिक्षित थे। अंग्रेजों ने, खासकर लाॅर्ड मैकाले ने जो शिक्षा पद्धति भारत में चलाई, उसके कारण भारत में शिक्षितों की संख्या घटती गई। आज भारत के साक्षरों की संख्या सिर्फ 77 प्रतिशत है जबकि चीन, जापान, श्रीलंका, ईरान जैसे देशों में वह संख्या 90 से 99 प्रतिशत है। भारत के ये लोग शिक्षित नहीं माने जा सकते हैं। इन्होंने कोई विशारद या शास्त्री या एम.ए.-बी.ए. पास नहीं किया है। ये केवल साक्षर हैं यानी सिर्फ अक्षरों और अंकों को जानते-पहचानते हैं। इतनी बड़ी संख्या भ...
कांग्रेस अब नई यात्रा की तैयारी में

कांग्रेस अब नई यात्रा की तैयारी में

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- ऋतुपर्ण दवे कांग्रेस ने 30 जनवरी को श्रीनगर में भारत जोड़ो यात्रा का समापन कर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगली यात्रा की तैयारी शुरू कर दी है। यह जुलाई में गुजरात के सोमनाथ से शुरू होगी और शिलांग में खत्म होगी। राहुल के नेतृत्व में पहली यात्रा पिछले साल 7 सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू हुई थी। इस यात्रा ने 145 दिन में 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों से होकर करीब 4080 किलोमीटर की दूरी तय की। राहुल को केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर को जानने समझने का मौका मिला। इसी दौरान गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव हुए। राहुल ने दोनों प्रदेशों के चुनाव से दूरी बनाकर रखी। सोमनाथ-शिलांग यात्रा कितने दिन की होगी, कहां-कहां से गुजरेगी, अभी ज्यादा साफ नहीं है। कुछ समय बाद पूर्वोत्तर में त्रिपुर...