Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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‘राहुल गांधी, आसान नहीं रायबरेली की डगर…!’

‘राहुल गांधी, आसान नहीं रायबरेली की डगर…!’

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- सुरेश हिंदुस्तानी कांग्रेस नेता राहुल गांधी उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव न लड़ पाने की हिम्मत के बाद आखिर परम्परागत रायबरेली से नामांकन दाखिल कर दिया। यह बात सही है कि राहुल गांधी के अमेठी छोड़ने के बाद कांग्रेस राजनीति में कोई ठोस सन्देश देने में सफल नहीं हो रही थी, जिसके कारण कांग्रेस के कई नेता अमेठी के बारे में बोलने से किनारा करने लगे थे। अब राहुल गांधी अपने दादा फिरोज खान, दादी इंदिरा गांधी और मां सोनिया गांधी की विरासत को बचाने के लिए मैदान में आ गए हैं। यहां सवाल यह नहीं हैं कि राहुल गांधी और उनकी कांग्रेस ने रायबरेली को क्यों चुना, बल्कि सवाल यह है कि राहुल गांधी ने अमेठी को क्यों छोड़ा। क्या वास्तव में राहुल गांधी को फिर से अपनी पराजय का डर लगने लगा था? अगर यह सही है तो फिर ऐसा क्यों है कि राहुल गांधी हर बार अपने लिए सुरक्षित स्थान की तलाश क्यों करते हैं। उल्लेख...
सोनिया ने क्यों दिया रायबरेली को भावनात्मक संदेश?

सोनिया ने क्यों दिया रायबरेली को भावनात्मक संदेश?

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- प्रभुनाथ शुक्ल "मैं अपने बच्चों को भीख मांगते देख लूंगी, परंतु मैं राजनीति में कदम नहीं रखूंगी।" यह पीड़ा सोनिया गांधी की थी जो उन्होंने अपने पति एवं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को खोने के बाद व्यक्त की थी। यह एक मां और औरत की पीड़ा थी, क्योंकि राजीव को खोने के बाद सोनिया अकेली पड़ गई थीं। वह डरी और सहमी थीं, क्योंकि पारिवारिक संघर्ष में वह अकेली थीं। उन्हें सबसे अधिक फिक्र दोनों बच्चों राहुल और प्रियंका गांधी की सुरक्षा की थी। इसकी वजह से वह राजनीति में नहीं आना चाहती थीं। वह राजनीति की वजह से पति और सास को खो चुकी थीं। इसकी वजह से उन्हें राजनीति से घृणा हो गई थी। सोनिया के दृढ संकल्प ने उन्हें विषम परिस्थितियों में भी डिगने नहीं दिया। कांग्रेस को संभालने के लिए उन्हें अंततः राजनीति में आना पड़ा। लंबे कालखंड के बाद सोनिया गांधी ने अब सक्रिय राजनीति को अलविदा कह दिया है। खराब स्वा...