विदेशी विचार छोड़कर ‘स्व’ का भाव जगाएं
- सुरेश हिन्दुस्थानी
आजादी के अमृतकाल में भारत छोड़ो आंदोलन दिवस (09 अगस्त) पर बहुत कुछ सोचने-समझने का अवसर है। दरअसल किसी भी देश का विचार उसके स्वभाव से परिचित कराता है। अगर किसी देश के पास स्वयं के विचार का आधार नहीं है, तब निश्चित ही वह देश दूसरे के विचारों के अनुसार ही संचालित होगा। कहा जाता है कि कोई देश जब अपना अतीत भूल जाता है, तब वह धीरे-धीरे पतन की ओर कदम बढ़ाने की अग्रसर होता है। ऐसा उन्हीं देशों में होता है जहां निजत्व का गौरव नहीं होता। ऐसे देश प्राय: अपने स्वर्णिम और सुखद भविष्य की बुनियाद नहीं रख पाते। भारत देश के बारे में ऐसा कतई नहीं माना जा सकता।
भारत के पास अतीत की ऐसी सुंदर परिकल्पना है जो केवल भारत का ही नहीं, अपितु पूरे विश्व का दिशा-दर्शन करने का सामर्थ्य रखती है, लेकिन समस्या इस बात की है कि वर्तमान में भारत के लोग अपनी सनातन संस्कृति से विमुख होते जा रहे हैं। भारत...