लोकतंत्र में नेताओं की जन छवि का सवाल
- प्रभुनाथ शुक्ल
भारतीय लोकतंत्र जागरूक और मजबूत है। यह सुखद और भविष्य के लिए अच्छी बात है। लेकिन हमारे राजतंत्र में राजनेताओं की स्थिति और छवि क्या बनती जा रही है, यह बड़ा सवाल है। लोकतंत्र को राजनेता नहीं जनता खुद धोखा दे रही है। जिसके हाथ में हम सत्ता सौंपने जा रहे हैं उसकी जन छवि क्या है। राजनीति में रहते हुए उसने कौन-सा विकास कार्य किया है। पांच साल के लिए जिस पर हमने भरोसा जताया वह हमारे लिए कितना खरा उतरा। समस्याओं का समाधान एवं चुनावी वायदों की गाड़ी कहां तक पहुंची, इसका खयाल हमें नहीं रहता।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की हालिया रिपोर्ट हमारे जनतंत्र का होश उड़ाने वाली है। लेकिन, वह हमारे लिए इतनी चिंता का विषय नहीं होगी। हमें सिर्फ शोर में जीने की आदत हो गई है। हम जमीन पर खड़े हैं कि नहीं यह आकलन भी हमें नहीं है। क्योंकि हम खुद अपनी चिंताओं में उलझे हैं कि देश और समा...