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कतर से भारतीय नौसैनिकों रिहाई, भारतीय कूटनीति रंग लाई

कतर से भारतीय नौसैनिकों रिहाई, भारतीय कूटनीति रंग लाई

अवर्गीकृत
- आर.के. सिन्हा कतर की जेल में बंद भारतीय नौसैनिकों की 18 महीने बाद जेल से रिहाई की सोमवार को जैसे ही खबर आई तो सारा देश ही झूम उठा। कुछ समय पहले इन अधिकारियों की मौत की सजा को अलग-अलग अवधि की जेल की सजा में बदल दिया गया था। तब देश को कम से कम यह संतोष तो था कि चलो हमारे नागरिकों की जान तो बच गई, पर देश यह भी प्रार्थना कर रहा था कि कतर की जेल में बंद भारतीय नागरिक रिहा होकर सकुशल देश वापस आ जाएं। बेशक, इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की विदेश नीति की बड़ी सफलता ही माना जाएगा कि कतर से फांसी की सजा घोषित हुए नागरिकों की रिहाई हो गई। वे सभी सकुशल और ससम्मान जनक तरीके से भारत की धरती पर वापस लौट आए। इस तरह से भारत की कुशल विदेश नीति को सारे संसार ने देखा और दांतों तले उंगलियाँ दबाकर आश्चर्य से देखते ही रह गये । अमूमन अरब देशों के शेख सामान्य तौर पर जासूसी के आरोप में सजा प्राप्त लो...
कतर में 8 भारतीयों को मौत की सजा, भारत ने बताया परेशान कर देने वाला फैसला

कतर में 8 भारतीयों को मौत की सजा, भारत ने बताया परेशान कर देने वाला फैसला

विदेश
नई दिल्ली । कतर की अदालत ने आज अल दहरा कंपनी के 8 भारतीय कर्मचारियों को मौत की सजा सुनाई है। विदेश मंत्रालय ने फैसले पर हैरान और परेशान कर देने वाला बताया है। साथ ही कहा है कि हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के साथ संपर्क में हैं और सभी कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि हम इस मामले को बहुत महत्व देते हैं और इस पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं। हम सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। हम फैसले को कतर के अधिकारियों के समक्ष भी उठाएंगे। इस मामले की कार्यवाही की गोपनीय प्रकृति के कारण इस समय कोई और टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। कतर के दोहा की अदालत ने आठ भारतीय पूर्व नौसेना अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई है। वे अब बंद हो चुकी दहरा ग्लोबल से जुड़े थे। अगस्त 2022 से कतर की जेल में भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारी बंद हैं। इन पूर्व अधिकारियों पर ज...
कितने भारतीय कमला हैरिस से ऋषि सुनक तक की कतार में

कितने भारतीय कमला हैरिस से ऋषि सुनक तक की कतार में

अवर्गीकृत
- आर.के. सिन्हा अगर ब्रिटेन के नये प्रधानमंत्री ऋषि सुनक बने जाते हैं, तो वे एक तरह से उसी परंपरा को ही आगे बढ़ायेंगे, जिसका श्रीगणेश 1961 में सुदूर कैरिबियाई टापू देश गयाना में भारतवंशी छेदी जगन ने किया था। वे तब गयाना के निर्वाचित प्रधानमत्री बन गए थे। उनके बाद मॉरीशस में शिवसागर रामगुलाम से लेकर अनिरुद्ध जगन्नाथ, त्रिनिदाद और टोबैगो में वासुदेव पांडे, सूरीनाम में चंद्रिका प्रसाद संतोखी, अमेरिका में कमल हैरिस वगैरह उपराष्ट्रपति या प्रधानमंत्री बनते रहे। ये सभी उन मेहनतकश भारतीयों की संतान रहे हैं, जिन्हें गोरे दुनियाभर में लेकर गए थे, ताकि वे वहां के चट्टानों की सफाई कर वहां गन्ना की खेती कर लें। दरअसल सन 1834 में दुनिया में गुलामी प्रथा का अंत होने के बाद श्रमिकों की भारी संख्या में की जरूरत पड़ी। इसके बाद गोरे भारत से एग्रीमेंट करके मजदूर बाहर के देशों में ले जाने लगे जिन्हें बाद में...