शौर्य और जनहितकारी शासन की प्रतीक रानी दुर्गावती
- हितानंद
भारत के इतिहास में मुगलों को चुनौती देने वाले योद्धाओं में महाराणा प्रताप और शिवाजी महाराज का नाम लिया जाता है। लेकिन इस सूची में गोंडवाना की रानी दुर्गावती का भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। रानी दुर्गावती ने आखिरी दम तक मुगल सेना को रोककर उनके राज्य पर कब्जा करने की हसरत को कभी पूरा नहीं होने दिया।
शौर्य या वीरता रानी दुर्गावती के व्यक्तित्व का एक पहलू था। वो एक कुशल योद्धा होने के साथ-साथ एक कुशल प्रशासक थीं और उनकी छवि एक ऐसी रानी के रूप में भी थी, जो प्रजा के कष्टों को पूरी गहराई से अनुभव करती थीं। इसीलिए गोंडवाना क्षेत्र में उन्हें उनकी वीरता और अदम्य साहस के अलावा उनके जनकल्याणकारी शासन के लिए भी याद किया जाता है।
मुगल शासक अकबर और उसके सिपहसालारों का मानमर्दन करने वाली रानी दुर्गावती का जन्म 24 जून को 1524 को बांदा जिले में कलिंजर के चंदेला राजपूत राजा कीरतसिंह चं...