Saturday, April 5"खबर जो असर करे"

Tag: Public outpouring

जनता-जनार्दन की जय!

जनता-जनार्दन की जय!

अवर्गीकृत
- गिरीश्वर मिश्र इस बार देश में चल रहा चुनावी महाभारत कुछ ज्यादा ही लम्बा खिंच रहा है और कई महारथी पशोपेश में पड़ते दिख रहे हैं। सेनापतियों पर शामत आ रही है कि वे अपनी-अपनी सेना को कैसे संभालें? तेज गर्मी और लू के मौसम में महीने भर से कुछ ज्यादा चलने वाले गणतंत्र के इस लोक-उत्सव में राजनीतिक पार्टियों को बीच-बीच में सांस लेने का अवसर मिल पा रहा है यह कुछ राहत की बात है। पर ‘स्टैमिना’ बनाए रखने के लिए जरूरी राजनीतिक दांवपेंच कम पड़ रहे हैं और कई दलों की तैयारी कुछ ढीली पड़ती नजर आ रही है । बेहद बुजुर्ग हो रहे नेताओं को कमान संभालने में थकान भी जाहिर है पर अगली (या दूसरी) कतार के नेता ज्यादातर बयानबाजी में मशगूल हैं । चूंकि बहुत से नेता ऊपर से थोपे हुए हैं उनकी जन-रुचि बेहद सतही होती है और उनके खोखले हो रहे जन-लगाव की पोल जल्दी ही खुलती जाती है। ऐसे में नेतागण पर थोड़ी देर के लिए ही सह...