जन स्वास्थ्य का अधिकार और चुनावी शोरगुल
- डॉ. अजय खेमरिया
सुप्रीम कोर्ट इस साल दो बार निजी अस्पतालों द्वारा आमजनता से उपचार के नाम पर की जा रही देशव्यापी लूट को लेकर सख्त टिप्पणी कर चुका है। एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान पिछले महीने कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि अगर केंद्र और राज्य सरकारें निजी अस्पतालों में एकरूपता के साथ उपचार की दरें तय नही कर पाती हैं तो कोर्ट खुद सीजीएचएस यानी केंद्रीय कर्मचारियों के लिए निर्धारित दरों को देश भर में लागू करने के आदेश दे देगा।
दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि देश में हर साल 6.3करोड़ लोग महंगे इलाज के चलते गरीबी के दलदल में फंस जाते है लेकिन देश के आम चुनावों में यह मुद्दा कहीं भी सुनाई नहीं दे रहा है। आरक्षण,संविधान बदलने औऱ धार्मिक तुष्टिकरण,जातिगत जनगणना जैसे मुद्दे इस लोकसभा चुनाव में विमर्श का केंद्रीय बिषय बने हुए है जबकि जनसरोकार की राजनीति के लिए यह जरूरी था कि पक्ष -विपक्ष जन स्वा...