भारत को छद्म सेकुलरवाद से मुक्ति चाहिए
- हृदयनारायण दीक्षित
अपने विवेक और विश्वास के आधार पर जीना प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है। भारतीय संविधान (अनु. 19) में विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, संगठन बनाने व देश में अबाध संचरण के मौलिक अधिकार हैं। लेकिन छद्म सेकुलरवादी राष्ट्र राष्ट्रीयता व संवैधानिक मूल्यों पर आक्रामक रहते हैं। हाल में तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने सेकुलरिज्म के नाम पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पथ संचरण कार्यक्रम पर रोक लगाई थी। सरकार ने प्रस्तावित कार्यक्रम के मार्ग में मस्जिद और चर्च होने के अमान्य तर्क दिए और कार्यक्रम की अनुमति देने से इनकार किया। मद्रास उच्च न्यायालय ने इस कृत्य पर कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा है कि, 'संघ को अनुमति देने से इनकार करने का निर्णय संविधान की पंथनिरपेक्ष नीति के विरुद्ध है और लोकतान्त्रिक सिद्धान्तों के भी असंगत है।' सरकार का निर्णय मौलिक अधिकारों के भी विरुद्ध है। स्टालिन सरक...