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देश की न्यायिक व्यवस्था में मील का पत्थर साबित होगा एक जुलाई का दिन

देश की न्यायिक व्यवस्था में मील का पत्थर साबित होगा एक जुलाई का दिन

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- कृष्णमोहन झा एक जुलाई की तारीख भारतीय लोकतांत्रिक और न्यायिक व्यवस्था में मील का पत्थर साबित होगी। देश में पुराने आपराधिक कानून को समाप्त करके नए आपराधिक कानूनों को लागू किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पहले देश की संसद में इसका मसौदा पेश किया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इसकी एक एक बात को सांसदों के समक्ष रखा। सदन ने जब इसे पास कर दिया, उसके बाद देश में यह कानून लागू हो सका है। पुराने आपराधिक कानूनों को निरस्त करना और नए कानूनों को अपनाना देश की वर्तमान वास्तविकताओं को दर्शाता है। भारतीय लोकाचार और संस्कृति को प्रतिबिंबित करने के लिए इन कानूनों का नाम बदला गया। जैसे कि भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 - पुरातन ब्रिटिश औपनिवेशिक युग से प्रस्थान का प्रतीक है, जिसमें सजा पर न्याय पर...
सिद्ध करनी होगी मानवाधिकार दिवस की सार्थकता

सिद्ध करनी होगी मानवाधिकार दिवस की सार्थकता

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- रमेश सर्राफ धमोरा मानव अधिकार वे मूल अधिकार हैं जो इस धरती पर प्रत्येक व्यक्ति के पास हैं। मानवाधिकार मौलिक अधिकार और स्वतंत्रता हैं। मानवाधिकारों में जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति, राय और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, काम और शिक्षा का अधिकार और बहुत कुछ शामिल है। बिना किसी भेदभाव के हर कोई इन अधिकारों का हकदार है। भारत का स्वतंत्रता आंदोलन मानवाधिकारों के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत रहा है। कुछ अधिकार ऐसे होते है जो व्यक्ति को जन्मजात मिलते हैं। उन अधिकारों का व्यक्ति की आयु, प्रजातीय मूल, निवास-स्थान, भाषा, धर्म पर कोई असर नहीं पड़ता। कहने में मानवाधिकार शब्द बहुत बड़ा है, क्योंकि मानवाधिकारों से हर व्यक्ति का हित जुड़ा होता है। आज के दौर में कोई भी मानव को उनके वास्तविक अधिकार नहीं देना चाहता है। नेता मानवाधिकार की बात तो जोरशोर से करते हैं, मगर जब अधिकार देने...