Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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ईवीएम की आड़ में अपनी हार की पेशबंदी करने लगा विपक्ष

ईवीएम की आड़ में अपनी हार की पेशबंदी करने लगा विपक्ष

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- डॉ. आशीष वशिष्ठ मोदी विरोधी मोर्चा के नेता आजकल एक और कैंपेन कर रहे हैं। वो कह रहे हैं कि मोदी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की वजह से जीतते हैं। वैसे ईवीएम को गलत ठहराने वाला राग तो पुराना है। 17 अप्रैल को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में चुनाव प्रचार के दौरान दावा किया कि अगर ईवीएम से छेड़छाड़ न हो तो भाजपा 180 सीटों पर सिमट जाएगी। जो राजनीतिक दल और नेता पिछले पांच साल तक जमीन पर उतरे नहीं, आज जब उन्हें अपनी हार साफ तौर पर दिख रही है तो उन्होंने ईवीएम की हार में पेशबंदी शुरू कर दी है। आखिरकार अपनी गलतियों, कमियां और कमजोरियों का ठीकरा किसी के सिर तो फोड़ना ही है, ऐसे में बेजुबान ईवीएम से बेहतर विकल्प कोई दूसरा नहीं हो सकता। देश में आम चुनाव के पहले चरण की 102 लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान हो चुका है। करोड़ों देशवासियों ने उन्हीं ईवीएम का बटन...
भ्रष्टाचार के विरोध की पटकथा, केजरीवाल और परिवारवाद

भ्रष्टाचार के विरोध की पटकथा, केजरीवाल और परिवारवाद

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- सुरेश हिंदुस्तानी भारत एक मजबूत लोकतांत्रिक देश है। यह सभी जानते हैं कि भारत में जनता के लिए जनता का ही शासन है। जनता के शासन का सीधा तात्पर्य यही है कि जनता अपने बीच के किसी व्यक्ति को नायक बनाकर अपना प्रतिनिधि बनाती है। लोकतंत्र में जनता की पसंद और नापसन्द को ही महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन आज हमारे देश में राजनीतिक दल अपने ही परिवार के कुछ लोगों को जबरदस्ती आगे करके नायक बनाने का खेल खेल रहीं हैं। यह खेल निश्चित रूप से लोकतंत्र को कमजोर करने वाला कहा जा सकता है। इस श्रेणी में एक या दो दल नहीं, कमोबेश हर राजनीतिक दल आज परिवारवाद की राह का अनुसरण करने के लिए अग्रसर हो रहा है। सवाल यह आता है कि आज नेता का बेटा या बेटी को ही विरासत सौंपने का चलन क्यों बढ़ रहा है, जबकि सारे राजनीतिक दल विशेषकर विपक्षी राजनीतिक दल लोकतंत्र को बचाने का नाराज बुलंद करने का सब्जबाग दिखा रहे हैं। अभी कुछ दि...
ईडी के जीएसटीएन से सूचना साझा करने का उठा मुद्दा, कई राज्यों ने जताया विरोध

ईडी के जीएसटीएन से सूचना साझा करने का उठा मुद्दा, कई राज्यों ने जताया विरोध

देश, बिज़नेस
नई दिल्ली (New Delhi)। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद (Goods and Services Tax (GST) Council) की मंगलवार को 50वीं बैठक में गैर-भाजपा शासित राज्यों (Non-BJP ruled states) के वित्त मंत्रियों ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) (Enforcement Directorate -ED) को जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) (GST Network -GSTN) से सूचना साझा करने के केंद्र के फैसले पर चिंता जताई है। दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित बैठक के दौरान गैर-भाजपा शासित राज्यों के वित्त मंत्रियों ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के समक्ष यह मुद्दा उठाया। दिल्ली की वित्त मंत्री आतिशी ने मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेस में कहा कि कई वित्त मंत्रियों ने यह मुद्दा उठाया। दिल्ली, पंजाब, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और राजस्थान ने चिंता जताते हुए कहा है कि इस पर जीएसटी परिषद में चर्चा होनी चाहिए। आतिशी ने कहा क...
हड़ताल का मनोविज्ञान समझने की जरूरत

हड़ताल का मनोविज्ञान समझने की जरूरत

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- सियाराम पांडेय 'शांत' विरोध-प्रदर्शन, सत्याग्रह, हड़ताल और आंदोलन लोकतंत्र के ऐसे हथियार हैं जो अपनी जिम्मेदारी को भूल बैठे सत्ताधीशों को कुम्भकर्णी नींद से जगाने में अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन हर आंदोलन की अपनी मर्यादा होती है।अपनी आधार भूमि होती है। अपना उद्देश्य होता है। बात-बात पर होने वाले आंदोलन देश का मार्गदर्शन तो करते नहीं, अलबत्ता परेशानी और चिंता का ग्राफ जरूर बढ़ा देते हैं। बिना सिर-पैर के आंदोलनों से वैसे भी किसी का भला नहीं होता। नुकसान अधिकांश जनता का होता है। यातायात जाम में फंसे देश को रोज कितना जान-माल का नुकसान होता है, यह किसी से छिपा नहीं है। किसान आंदोलन के नाम पर जब रेल ट्रैक जाम कर दिए जाते हैं या सरकारी वाहनों को आग के हवाले कर दिया जाता है तो इससे देश की कितनी क्षति होती है, इसे आवेशित आंदोलनकारी नहीं समझ सकते, लेकिन देश को समझना होगा। हड़ताल का अपना मनोविज्ञा...
इस विरोध का अर्द्धसत्य

इस विरोध का अर्द्धसत्य

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- डॉ. रविन्द्र प्रताप सिंह जब से एनसीईआरटी ने इतिहास विषय में एक्सपर्ट कमेटी के सलाह पर बदलाव करने का फैसला किया है तब से वामपंथ और कांग्रेस विचारधारा से प्रभावित अकादमिक गुट सक्रिय हो गया है। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है।ऐसा ही माहौल तब भी तैयार किया गया था जब डॉ. मुरली मनोहर जोशी मानव संसाधन विकासमंत्री थे। इस समय इतिहास विषय में भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन को आतंकवादी आंदोलन के नाम से पढ़ाया जा रहा था। डॉ. जोशी के कार्यकाल में एनसीईआरटी ने इतिहास से आतंकवादी शब्द को हटाने का निर्णय लिया था। इसके साथ ही बहुत से भ्रामक तथ्य जानबूझकर गलत तरीके से इतिहास विषय के रूप में बच्चों को पढ़ाए जा रहे थे। इसका एकमात्र उद्देश्य यह था कि नई पीढ़ी हमेशा कांग्रेस और गांधी को देश की आजादी के आंदोलन का अगुवा और मुस्लिम लीग, हिन्दू महासभा व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को साम्प्रदायिक शक्तियों के रूप में समझे। ए...
वीर सावरकर के विरोध के निहितार्थ

वीर सावरकर के विरोध के निहितार्थ

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- सुरेश हिन्दुस्थानी कांग्रेस अपने सत्ता निर्वासन को समाप्त करने के लिए भारत जोड़ो यात्रा पर है। जो कांग्रेस की तड़पन को दूर करने के लिए अपरिहार्य भी है। लेकिन कभी-कभी इस यात्रा के दौरान ऐसा भी लगने लगता है कि इसका मूल उद्देश्य भारतीय समाज को जोड़ने के लिए नहीं, बल्कि समाज में बिखराव पैदा करना ही है। अगर यात्रा का उद्देश्य वास्तव में ही समाज को जोड़ने के लिए होता तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी कम से कम वीर सावरकर के बारे में अनुचित टिप्पणी करने से परहेज करते, लेकिन राहुल गांधी ने ऐसा नहीं किया। इसके पीछे कांग्रेस के कौन से निहितार्थ हैं? यह कांग्रेस के नेता ही जानते होंगे, लेकिन इतना अवश्य है कि महाराष्ट्र में वीर सावरकर पर निशाना साधने के कुछ मायने हैं। एक राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर अध्ययन किया जाए तो यही कहा जा सकता है कि महाराष्ट्र में वीर सावरकर के प्रति सम्मान कुछ ज्यादा ही है और कांग...

कांग्रेस के सत्याग्रह का अर्द्धसत्य!

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजी कैंडलर के अगस्त महीने का विशेष महत्व है। विडंबना देखिए वर्तमान कांग्रेस भी अगस्त में सत्याग्रह कर रही है। इस सत्याग्रह का अर्द्धसत्य, पूर्ण सत्य से भी विराट है। इसकी शुरुआत ईडी के नेशनल हेराल्ड घोटाले की जांच के विरोध में हुई मगर यह दांव उल्टा पड़ा। जब देश जान गया कि कांग्रेस जांच से परेशान है तो इस सत्याग्रह का निशाना महंगाई की तरफ कर दिया गया। कांग्रेस का यह अगस्त सत्याग्रह चर्चा में है। नेशनल हेराल्ड की स्थापना करते समय जवाहर लाल नेहरू ने यह नहीं सोचा होगा कि यह संपत्ति घोटाले को लेकर चर्चित होगा। उस समय अखबार निकालना भी स्वतंत्रता संग्राम का अस्त्र हुआ करता था। महात्मा गांधी ने संभवतः भविष्य को भांप चुके थे। इसलिए उन्होंने स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस को समाप्त करने का सुझाव दिया था। गांधी कहते थे कि कांग्रेस का उद्देश्य देश...
जीएसटी के विरोध में अनाज व दाल मंडियों में नहीं हुआ कारोबार

जीएसटी के विरोध में अनाज व दाल मंडियों में नहीं हुआ कारोबार

देश, बिज़नेस
-देशभर में खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी बढ़ाने के खिलाफ बंद रही मंडियां नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली समेत देशभर की अधिकांश थोक एवं खुदरा अनाज मंडियां (Wholesale and retail grain markets) शनिवार को बंद रहीं। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद (Goods and Services Tax (GST) Council) के पहले से पैक और लेबल वाले खाद्य पदार्थों पर 5 फीसदी जीएसटी (5% GST) लगाने के फैसले के विरोध में व्यापारियों ने बंद का आह्वान किया था। राजधानी दिल्ली के अनाज व्यापारी संघ के अध्यक्ष नरेश कुमार गुप्ता ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में कहा कि ऐसा पहली बार है, जब बिना ब्रांड वाले खाद्य पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाया जा रहा है। गुप्ता ने कहा कि जीएसटी परिषद का यह फैसला आम जनता और व्यापारियों के पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा कि व्यापारियों का बंद पूरी तरह से सफल रहा है। व्यापारी संघ के अध्यक्ष ने कहा कि जीएसटी परिषद...