Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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चुनावी पिटारा कितना सहारा !

चुनावी पिटारा कितना सहारा !

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- गिरीश्वर मिश्र चुनाव को लोकतंत्र का पवित्र महोत्सव कहा जाता है । अब इसकी संस्कृति का पूरी तरह से कायाकल्प हो गया है । चुनाव आने के थोड़े दिन पहले गहमा-गहमी तेज होती है और अंतिम कुछ दिनों में हाईकमान अपने कंडिडेट का ऐलान करता है । साथ ही भूली बिसरी जनता की सुधि आती है। चुनाव आते ही सभी राजनीतिक दल अपना-अपना जादू का पिटारा खोलते है और उनकी सोई हुई जन-संवेदना जागती है । आहत जनता को राहत देने के लिए कमर कसते हुए सभी दल सुविधाओं की फेहरिस्त तैयार करने में जुट जाते हैं । रेल , सड़क , स्कूल , अस्पताल , नौकरी , कर्ज यानी जीने के लिए जो भी चाहिए उस सूची में शामिल किया जाता है । चुनावी राज्यों में पुलिस द्वारा करोड़ों रुपयों की जब्ती और शराब की आवाजाही आम बात हो गई है जिनका कोई दावेदार नहीं मिलता । यह सब इसलिए होता है ताकि जनता को अधिकाधिक मात्रा में लुभाया जा सके । जन-प्रलोभनों की यह अजीबोगरीब...

सूखे से बेजार किसानों के लिए सहारा बनी ‘सम्मान निधि’

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- पंकज यूपी के पिछड़े जिलों में शुमार बलिया में किसानों पर इस बार मानसून की बेरुखी से सूखे की मार पड़ी है। हालांकि, बारिश न होने से सहमे किसानों के लिए मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'किसान सम्मान निधि' सहारा साबित हो रही है। जिले में पिछले वर्ष एक लाख 58 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में खरीफ की खेती हुई थी। इस बार खरीफ की खेती का दायरा सिकुड़ गया है। आषाढ़ के बाद सावन माह भी आधा बीतने को है। आसमान में उमड़-घुमड़ रहे बादल किसानों के जले पर सिर्फ नमक छिड़क रहे हैं। इसका नतीजा यह यह है कि बारिश न होने से इस बार महज करीब 72 हजार हेक्टेयर में ही खरीफ की विभिन्न फसलें लगाई गई हैं। इसमें मुख्य रूप से मक्का और धान बोया गया है। सबसे अधिक मार धान की रोपाई पर पड़ी है। अलबत्ता, मक्का, ज्वार और बाजरा की पर्याप्त खेती हुई है। इसके पीछे कम बारिश का होना बताया जा रहा है। लगभग एक माह से बारिश न होने से सबसे अधिक...