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जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों की समस्या

जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों की समस्या

अवर्गीकृत
- लालजी जायसवाल देश की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों की समस्या लंबे समय से जस की तस है। जेलों में बंद लगभग 78 प्रतिशत विचाराधीन कैदी हैं। इन पर अपराध साबित नहीं हुआ है। न्यायालयों में इनके मामले लंबित हैं। कुछ ऐसे मामले भी हैं जिनमें आरोपितों का लंबा समय जेल में गुजर रहा है, केवल इसलिए कि उन्हें अभियोग पक्ष, जो आमतौर पर स्वयं राज्य होता है, उसकी याचिका पर जमानत नहीं मिलती। कई ऐसे मामले भी हैं जिनमें आरोपित अपने पक्ष में वकील करने में सक्षम नहीं होता है या वह अपनी जमानती रकम का इंतजाम नहीं कर पाते, परिणामस्वरूप वह जेल में ही विचाराधीन कैदी बना रहता है। अब सवाल यह उठता है कि ऐसे विचाराधीन कैदी जो लंबे समय से जेल में केवल कमजोर और लचर न्याय व्यवस्था के कारण बंद हैं, और अपराधी की तरह जीवन जीने का मजबूर हैं, इसकी जवाबदेही किसकी है? ऐसा तब है जब सुप्रीम कोर्ट समय-समय पर जेलों में बढ़ती कैदि...