Sunday, November 24"खबर जो असर करे"

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विपक्ष की हालत खस्ता

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू के चुनाव ने सिद्ध कर दिया है कि भारत के विरोधी दल भाजपा को टक्कर देने में आज भी असमर्थ हैं और 2024 के चुनाव में भी भाजपा के सामने वे बौने सिद्ध होंगे। अब उपराष्ट्रपति के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा के समर्थन से इनकार कर दिया है। यानी विपक्ष की उम्मीदवार उपराष्ट्रपति के चुनाव में भी बुरी तरह से हारेंगी। अल्वा कांग्रेस की हैं। तृणमूल कांग्रेस को कांग्रेस से बहुत आपत्ति है, हालांकि उसकी नेता ममता बनर्जी खुद कांग्रेस में रही हैं और अपनी पार्टी के नाम में उन्होंने कांग्रेस का नाम भी जोड़ रखा है। ममता ने राष्ट्रपति के चुनाव में यशवंत सिन्हा का भी डटकर समर्थन नहीं किया, हालांकि सिन्हा उन्हीं की पार्टी के सदस्य हैं। अब पता चला है कि ममता बनर्जी, द्रौपदी मुर्मू की टक्कर में ओडिशा के ही एक आदिवासी नेता त...
गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की खुशी, श्रीलंका में ‘कर्फ्यूतोड़ जश्न’, कोलंबो में सड़कों पर झूमे लोग

गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की खुशी, श्रीलंका में ‘कर्फ्यूतोड़ जश्न’, कोलंबो में सड़कों पर झूमे लोग

विदेश
कोलंबो । संकट के दौर से गुज रहे अपने देश श्रीलंका (Sri Lanka) से मालदीव्स और फिर सिंगापुर भागने वाले गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapakse) ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है। इधर, इस फैसले का असर यह हुआ कि सरकारी भवनों पर कब्जा कर चुके प्रदर्शनकारियों ने भी जगह खाली करना शुरू कर दिया है। गुरुवार रात राजपक्षे की खुशी ऐसी थी कि जनता कर्फ्यू को दरकिनार कर राजधानी कोलंबो (Colombo) की सड़कों पर जश्न मनाने उतर आई। इस्तीफे की खबर के बाद शहर में कर्फ्यू के बावजूद पटाखे छोड़े गए, नारेबाजी की गई और प्रदर्शन स्थल पर डांस हुआ। कुछ लोग बेहतर शासन की मांग करते नजर आए। प्रदर्शनकारी देश में आए आर्थिक संकट का जिम्मेदार राजपक्षे और उनके सहयोगियों को बता रहे हैं। खास बात है कि बीते कुछ समय से श्रीलंका ईंधन और खाद्य सामग्री जैसी बुनियादी चीजों की कमी का सामना कर रहा है। श्रीलंकाई नागरिकों ने राजपक्षे को...