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विकसित भारत का प्रण और प्रधानमंत्री

विकसित भारत का प्रण और प्रधानमंत्री

अवर्गीकृत
- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री भारत कभी विश्व गुरु था। ब्रिटिश काल तक विश्व व्यापार में अधिकांश हिस्सा भारत का हुआ करता था। प्राचीन भारत में ज्ञान-विज्ञान और शिक्षण संस्थानों के अनगिनत केंद्र थे। दुनिया की सर्वाधिक प्राचीन सभ्यता संस्कृति भारत की है। पिछले आठ वर्षों में देश का नेतृत्व राष्ट्रीय गौरव की इसी भावना के अनुरूप कार्य कर रहा है। वह तत्व पुनर्जीवित हो रहे हैं, जिन्होंने भारत को विश्व गुरु पद पर विभूषित किया था। इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत में आज भी विकसित बनने की पूरी क्षमता है। देश के वर्तमान नेतृत्व ने इस क्षमता को पहचाना है। इसी प्रक्रिया में ही बाधक तत्वों की पहचान हुई है। सेक्युलर राजनीति के नाम पर देश को आत्म गौरव से विहीन बनाया गया। परिवार आधारित पार्टियों को भी ऐसी ही राजनीति पसन्द थी। लेकिन अब देश में राष्ट्रीय गौरव का संचार हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले क...