Sunday, November 24"खबर जो असर करे"

Tag: poverty

अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई

अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई

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- डॉ. सत्यवान सौरभ भारत में असमानता, संपन्नता और निर्धनता के बीच के द्वंद्व से परे है, क्योंकि जाति आधारित असमानताएं देश के सामाजिक-आर्थिक ढांचे की परिभाषित विशेषताओं में से एक हैं। वर्ल्ड इनइक्वैलिटी लैब के एक हालिया वर्किंग पेपर ने अमीर और गरीब के बीच की खाई को चौड़ा किया है। जाति आधारित असमानताएं देश के सामाजिक आर्थिक ढांचे की परिभाषित विशेषताओं में से हैं। आर्थिक असमानता का आकलन करने के लिए गिनी गुणांक और प्रतिशत अनुपात महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में काम करते हैं। यह लोरेंज कर्व से लिया गया है। इसका उपयोग किसी देश में आर्थिक विकास के संकेतक के रूप में किया जा सकता है। गिनी गुणांक किसी आबादी में आय समानता की डिग्री को मापता है। गिनी गुणांक 0 (पूर्ण समानता) से 1 (पूर्ण असमानता) तक भिन्न हो सकता है। शून्य का गिनी गुणांक का मतलब है कि सभी की आय समान है, जबकि 1 का गुणांक एक व्यक्ति को सभी आ...
एक झटके में नहीं, सही नीति और साफ नीयत से खत्म होगी गरीबी

एक झटके में नहीं, सही नीति और साफ नीयत से खत्म होगी गरीबी

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- डॉ. आशीष वशिष्ठ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 13 अप्रैल को बस्तर में चुनावी सभा में कहा कि कांग्रेस की सरकार केंद्र में बनी तो हम एक झटके में देश से गरीबी खत्म कर देंगे। राहुल गांधी के बयान देने के अगले दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश के होशंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के पिपरिया शहर में एक चुनावी रैली के दौरान अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि, कांग्रेस के 'शाही जादूगर' कहते हैं कि एक झटके में गरीबी मिटा दूंगा। 50 साल पहले उनकी दादी इंदिरा गांधी ने भी गरीबी हटाने का नारा दिया था, लेकिन हुआ क्या? अब राहुल गांधी यह बोलकर गरीबों का अपमान कर रहे हैं, उनके स्वाभिमान को ठेस पहुंचा रहे हैं। राहुल ने गरीबी हटाने का बयान मोदी सरकार को घेरने के लिए दिया था, लेकिन लगता है कि उन्होंने ये बयान देकर खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है। भाजपा राहुल गांधी को कांग्रेस के पां...
मोदी सरकार के 9 साल के कार्यकाल में गरीबी से बाहर आए 24.82 करोड़ लोगः नीति आयोग

मोदी सरकार के 9 साल के कार्यकाल में गरीबी से बाहर आए 24.82 करोड़ लोगः नीति आयोग

देश, बिज़नेस
नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्र (Centre) की नरेन्द्र मोदी सरकार (Narendra Modi government) के नौ साल के कार्यकाल (Tenure of nine years) में 24.82 करोड़ लोग (24.82 crore people ) गरीबी से बाहर (come out poverty) निकले हैं। नीति आयोग (Policy Commission) की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। नीति आयोग ने रिपोर्ट में सोमवार को बताया कि 2013-14 से 2022-23 तक कुल नौ वर्षों में 24.82 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। इसमें उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में गरीबी में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। देश में बहुआयामी गरीबी 2013-14 में 29.17 फीसदी थी, जो घटकर 2022-23 में 11.28 फीसदी रह गई है। आयोग की इस रिपोर्ट को नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद द्वारा नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम की उपस्थिति में जारी किया गया। हालांकि, राज्यों का प्रदर्शन अलग-अलग है, कुछ राज्यों में जहां परंपर...
कंगाली के कगार पर पाकिस्तान, आटा चोरी रोकने लिए लगानी पड़ी धारा 144

कंगाली के कगार पर पाकिस्तान, आटा चोरी रोकने लिए लगानी पड़ी धारा 144

विदेश
इस्लामाबाद (Islamabad)। पाकिस्तान (Pakistan) राजनीतिक अस्थिरता (political instability) के साथ भीषण आर्थिक संकट (severe economic crisis) का दौर भी झेल रहा है। कंगाली के कगार पर पहुंचे पाकिस्तान के हालात इतने खराब हो गए हैं कि वहां आटा चोरी रोकने के लिए धारा 144 (Section 144 to prevent flour theft) लगानी पड़ी है। पाकिस्तान इस समय अपने सबसे बुरे आर्थिक और राजनीतिक दौर से गुजर रहा है। यहां महंगाई पिछले 48 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है और विदेशी मुद्रा भंडार तीन अरब डॉलर से नीचे, 2.97 अरब डॉलर पर पहुंच चुका है। ऐसे में पाकिस्तान के पास विदेशी सामान खरीदने के लिए भी अब धनराशि नहीं बची है। पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने घटते विदेशी मुद्रा भंडार के कारण महंगाई बढ़ने और घरेलू आर्थिक वातावरण से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों की चेतावनी दी है। मंत्रालय की माने तो मई माह में मंहगाई 34 से 36 फी...
दुनिया में बढ़ती अमीरी-गरीबी की खाई

दुनिया में बढ़ती अमीरी-गरीबी की खाई

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- योगेश कुमार गोयल दुनियाभर में अमीरी और गरीबी के बीच खाई निरन्तर बढ़ती जा रही है। कोरोना काल में इसमें ज्यादा इजाफा देखा गया। इसी बढ़ती खाई को लेकर पूरी दुनिया में नई बहस छिड़ी है। गरीबी उन्मूलन के लिए कार्यरत संस्था ऑक्सफैम इंटरनेशनल की वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक से ठीक पहले आई रिपोर्ट ‘सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट: द इंडिया स्टोरी’ में इसे लेकर कई चौंका देने वाले खुलासे किए गए हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 21 सबसे अमीर अरबपतियों के पास इस समय देश के 70 करोड़ लोगों से भी ज्यादा दौलत है और वर्ष 2021 में भारत की कुल संपत्ति में से 62 फीसदी हिस्से पर देश के केवल 5 प्रतिशत लोगों का ही कब्जा था जबकि भारत की निचले तबके की बहुत बड़ी आबादी का देश की केवल तीन फीसदी सम्पत्ति पर ही कब्जा रहा। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2020 में अरबपतियों की संख्या 102 थी, जो 2022 में 166 पर पहुंच गई पिछले साल नवम्...
भारत में गरीबी-अमीरी की खाई

भारत में गरीबी-अमीरी की खाई

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक आजकल हम भारतीय लोग इस बात से बहुत खुश होते रहते हैं कि भारत शीघ्र ही दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। लेकिन दुनिया के इस तीसरे सबसे बड़े मालदार देश की असली हालत क्या है? इस देश में गरीबी भी उतनी ही तेजी से बढ़ती जा रही है, जितनी तेजी से अमीरी बढ़ रही है। अमीर होने वालों की संख्या सिर्फ सैकड़ों में होती है लेकिन गरीब होनेवालों की संख्या करोड़ों में होती है। ऑक्सफॉम के ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले दो साल में सिर्फ 64 अरबपति बढ़े हैं। सिर्फ 100 भारतीय अरबपतियों की संपत्ति 54.12 लाख करोड़ रुपेय है यानी उनके पास इतना पैसा है कि वह भारत सरकार के डेढ़ साल के बजट से भी ज्यादा है। सारे अरबपतियों की संपत्ति पर मुश्किल से दो प्रतिशत टैक्स लगता है। इस पैसे से देश के सारे भूखे लोगों को अगले तीन साल तक भोजन करवाया जा सकता है। यदि इन मालदारों पर थोड़ा ज्यादा टैक्स लगाया जाए ...