Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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अग्निहोत्र यज्ञ है प्रदूषण मुक्ति का मार्ग

अग्निहोत्र यज्ञ है प्रदूषण मुक्ति का मार्ग

अवर्गीकृत
- हृदयनारायण दीक्षित वैदिक साहित्य प्रकृति के प्रति आदर से भरा पूरा है। इस आस्था का तर्क संगत विज्ञान भी है। जर्मनी के डॉ. कुलरिच बर्क वैदिक अग्निहोत्र विज्ञान को कई देशों तक पहुंचा रहे हैं। डॉ. बर्क बर्लिन विश्वविद्यालय में गणित के प्राध्यापक रहे हैं और लगभग चार दशक से वैदिक विज्ञान में सक्रिय हैं। डॉ. बर्क ने 'व्हाट इज डन एंड व्हाट कैन बी डन विद अग्निहोत्र' शीर्षक से तीन सौ पृष्ठों का शोधपत्र बनाया। अग्निहोत्र विज्ञान पर उनके 20 से ज्यादा शोधपत्र विभिन्न देशों में प्रकाशित हुए हैं। डॉ. आरके पाठक बताते हैं कि, ''सूर्योदय के समय सम ऊर्जा, विद्युत् ऊर्जा उत्सर्जित होकर पृथ्वी को ऊर्जावान बनाती है। अग्निहोत्र से इसकी सकारात्मकता में वृद्धि होती है। इसी तरह सूर्यास्त के समय ऊर्जा का उत्सर्जन वापस वातावरण में मिलता है। उनके मुताबिक कई देशों में भारत के इस प्राचीन विज्ञान को अपनाया जा रहा है...
प्रदूषण से कैंसर के बढ़ते खतरों को रोकने की चुनौती

प्रदूषण से कैंसर के बढ़ते खतरों को रोकने की चुनौती

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- डॉ. रमेश ठाकुर आमजन में अक्सर यह धारणा रही है कि कैंसर मुख्यतः तंबाकू, खैनी-गुटखा या शराब के सेवन से ही होता है। पर, कैंसर अब इन वजहों तक सीमित नहीं रहा। इस खतरनाक बीमारी ने बड़ा विस्तार ले लिया है। अब प्रदूषण के चलते भी कैंसर काफी संख्या में होने लगा है। वायु प्रदूषण से सिर्फ अस्थमा, हृदय संबंधी रोग, स्किन एलर्जी या आंखों की बीमारियां ही नहीं होती, बल्कि जानलेवा कैंसर भी होने लगा है। इसलिए जरूरी है कि वायु प्रदूषण से फैलने वाले कैंसर के प्रति ज्यादा से ज्यादा देशवासियों को जागरूक किया जाए। इस काम में सरकारों के साथ-साथ आमजन को भी भागीदारी निभानी होगी। धुंध, प्रदूषित काले बादल व प्रदूषण की मोटी चादर इस वक्त कई शहरों में है जिसमें दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र अव्वल है। दिल्ली के अलावा देश के बाकी महानगरों का भी हाल ज्यादा अच्छा नहीं है, वहां भी लोगों को सांस लेना दूभर हो रहा है। अस्पतालों में मर...
प्रदूषण से मुक्ति के लिए गंभीरता की दरकार

प्रदूषण से मुक्ति के लिए गंभीरता की दरकार

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- डॉ. अनिल कुमार निगम दिल्ली और एनसीआर की हवा में एक बार फिर जहर घुल गया है। दीपोत्सव का त्योहार अभी दूर है लेकिन देश की राजधानी की हवा की गुणवत्ता का इंडेक्स (एक्यूआई) 300 के पार चला गया है। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। हर वर्ष प्रदूषण का कारण दिवाली में आतिशबाजी से होने वाले प्रदूषण, पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जलाई जाने वाली पराली को मानकर कुछ चंद उपाय कर लोगों को प्रदूषण के दंश को झेलने के लिए छोड़ दिया जाता है। पिछले लगभग एक दशक में अक्टूबर से जनवरी के बीच हर साल यह समस्या गहरा जाती है। दिल्ली सरकार भी ‘जब आग लगे तो खोदो कुआं’ वाली कहावत चरितार्थ करते हुए प्रदूषण कम करने के चंद उपाय करती है जिससे कुछ तात्कालिक राहत भी मिल जाती है, लेकिन इस समस्या का स्थायी समाधान निकाले जाने के बारे में गंभीर प्रयास देखने को नहीं मिलते। प्रदूषण की गंभीरता को यहां से समझना चाहिए कि अक्...
मप्रः प्रदूषण से स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव के अध्ययन के लिए एम्स और पीसीबी में हुआ करार

मप्रः प्रदूषण से स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव के अध्ययन के लिए एम्स और पीसीबी में हुआ करार

देश, मध्य प्रदेश
- भावी पीढ़ी की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिये यह पहल बनेगी मिसाल भोपाल (Bhopal)। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Madhya Pradesh Pollution Control Board) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences) के मध्य मंगलवार को 'पर्यावरण प्रदूषण (environmental pollution) का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव' (effects on human health) पर संयुक्त अध्ययन और अनुसंधान के लिये एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये। दोनों संस्थान के विषय-विशेषज्ञों द्वारा किया गया यह अध्ययन भावी पीढ़ी की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिये देश में एक नई मिसाल कायम करेगा। एमओयू पर बोर्ड के सदस्य सचिव चन्द्रमोहन ठाकुर और एम्स के निदेशक एवं कार्यपालन अधिकारी डॉ. अजय सिंह ने हस्ताक्षर किये। इस मौके पर बोर्ड के सदस्य सचिव ठाकुर ने कहा कि दोनों संस्थानों के विशेषज्ञों द्वारा संयुक्त अध्ययन से यह पता लगेगा कि वातावरण में उपस्थि...
धरती की रक्षा वैश्विक दायित्व है

धरती की रक्षा वैश्विक दायित्व है

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- गिरीश्वर मिश्र आज पर्यावरण का क्षरण और प्रदूषण तेजी से विकराल हो रहा है और विश्व के सभी देश विकट चुनौती से जूझ रहे हैं। भारत ने पर्यावरण और पर्यावरण की नैतिकता, प्रकृति के स्वरूप और महत्व को गहराई से अंगीकार किया था। यहां समस्त जगत में ईश्वर की उपस्थिति की अनुभूति की जाती रही है : ईशावास्यमिदं सर्वं यत्किंचित जगत्यां जगत। फलतः प्रत्येक वस्तु पवित्र और धरती को माता कहा गया। प्रातःकाल उठ कर बिस्तर से उतार कर धरती पर पैर रखने के पहले पृथ्वी को प्रणाम करने और पैर रखने की विवशता के लिए क्षमा मांगते हुए यह कहने का विधान है ; समुद्र वसने देवि पर्वतस्तनमंडिते । विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्व मे ।। अर्थात समुदरूपी वस्त्रोंको धारण करनेवाली, पर्वतरूपस्तनों से मंडित भगवान विष्णुकी पत्नी पृथ्वी देवि! आप मेरे पाद-स्पर्श को क्षमा करें। उपर्युक्त भावना हिन्दू , बौद्ध और जैन सभी भारतीय धर्...
वाहनों की स्क्रैप पालिसी से कम होगा प्रदूषण

वाहनों की स्क्रैप पालिसी से कम होगा प्रदूषण

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- लालजी जायसवाल उत्तर प्रदेश में केंद्र सरकार की व्हीकल स्क्रैप पालिसी को पूरी तरह से लागू करने की तैयारी चल रही है। इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश की सड़कों पर दौड़ने वाले 15 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों को कबाड़ घोषित किया जाएगा। एक अप्रैल 2023 से 15 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों को कबाड़ में भेजे जाने की तैयारी है। लिहाजा केंद्र सरकार के सड़क परिवहन मंत्रालय ने ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया है। नया नियम निगमों और परिवहन विभाग की बस एवं अन्य गाड़ियों के लिए भी अनिवार्य होगा। सड़क परिवहन मंत्रालय की मंशा के अनुरूप उत्तर प्रदेश सरकार 15 वर्ष से ऊपर के निजी वाहनों के साथ-साथ विभागों में लगे पुराने वाहनों को भी स्क्रैप में बदलने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। सरकार ने यह निर्णय निरंतर बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए लिया है। पर्यावरणीय प्रदूषण को देखते हुए वित्त मंत्री ने आम बजट 2021-22 में पुराने वाहनों क...
प्रदूषण से माता पृथ्वी की रक्षा हम सबका राष्ट्रधर्म

प्रदूषण से माता पृथ्वी की रक्षा हम सबका राष्ट्रधर्म

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- हृदय नारायण दीक्षित पृथ्वी का अस्तित्व संकट में है। पर्यावरण विश्व बेचैनी है। भारत में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण चिंताजनक है। प्रातः टहलने वाले लोग प्रदूषित वायु में सांस लेने को बाध्य हैं। काफी लम्बे समय से अक्टूबर- नवम्बर के महीनों में भारत के बड़े हिस्सों में वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। पराली जलाने सहित इस प्रदूषण के अनेक कारण हैं। क्षिति, जल, पावक, गगन व समीर अव्यवस्थित हो रहे हैं। तुलसीदास ने रामचरितमानस में पृथ्वी संकट का उल्लेख किया है। लिखा है, ‘‘अतिशय देखि धरम कै हानी/परम सभीत धरा अकुलानी- धर्म की ग्लानि को बढ़ते देखकर पृथ्वी भयग्रस्त हुई। देवों के पास पहुंची। अपना दुःख सुनाया- निज संताप सुनाइस रोई।- पृथ्वी ने रोकर अपना कष्ट बताया। शंकर ने पार्वती को बताया कि वहां बहुत देवता थे। मैं भी उनमें एक था। तुलसी के अनुसार आकाशवाणी हुई, ‘‘हे धरती धैर्य रखो। मैं स्वयं सूर्यवं...
कैसे करें प्रदूषण को काबू?

कैसे करें प्रदूषण को काबू?

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के सीमांत क्षेत्रों में प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि इन प्रांतों ने तरह-तरह के प्रतिबंध और उपायों की घोषणा कर दी है। जैसे बच्चों की पाठशालाएं बंद कर दी हैं, पुरानी कारें सड़कों पर नहीं चलेंगी, बाहरी ट्रक दिल्ली में नहीं घुस पाएंगे, सरकारी कर्मचारी ज्यादातर काम घर से ही करेंगे। लोगों से कहा गया है कि वे मुखपट्टी का इस्तेमाल बढ़ाएं, घर के खिड़की-दरवाजे प्रायः बंद ही रखें और बहुत जरूरी होने पर ही बाहर निकलें। ये सब बातें तो ठीक हैं और मौत का डर ऐसा है कि इन सब निर्देशों का पालन लोग-बाग सहर्ष करेंगे ही लेकिन क्या प्रदूषण की समस्या इससे हल हो जाएगी? ऐसा नहीं है कि खेती सिर्फ भारत में ही होती है और खटारा ट्रक और मोटरें भारत में ही चलती हैं। भारत से ज्यादा ये अमेरिका, यूरोप और चीन में चलती हैं। वहां हमसे ज्यादा प्रदूषण हो सकता है लेकिन वहां...
सांसों पर मंडराता संकट

सांसों पर मंडराता संकट

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- योगेश कुमार गोयल इस बार दीपावली के तुरंत बाद भले ही दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर नहीं पहुंचा था लेकिन अब यह क्षेत्र हर साल की भांति प्रदूषण से कराहता नजर आने लगा है। सरकार के मुताबिक पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की निरन्तर बढ़ रही घटनाओं के कारण दिल्ली-एनसीआर तथा पड़ोसी राज्यों में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, जिससे स्मॉग (कोहरे और धुएं का ऐसा मिश्रण, जिसमें बहुत खतरनाक जहरीले कण मिश्रित होते हैं) की परत छाने के साथ-साथ लोगों को आंखों में जलन तथा सांस लेने में परेशानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। हाल के दिनों में दिल्ली-एनसीआर को देश के सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र के रूप में दर्ज किया जा रहा है। इसी कारण चिकित्सक अब सांस के मरीजों को विशेष तौर पर सतर्क रहने की हिदायत देते हुए सुबह के समय बुजुर्गों व बच्चों को बाहर न जाने की सलाह भी देने लगे हैं। एनसीआर के कई इलाकों में तो ...