भारतीय लोकतंत्र के दो दीमक
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने लाल किले के भाषण में देशवासियों को प्रेरित करने के लिए कई मुद्दे उठाए लेकिन दिनभर टीवी चैनलों पर पार्टी प्रवक्ता सिर्फ दो मुद्दों को लेकर एक-दूसरे पर जमकर प्रहार करते रहे। उनमें पहला मुद्दा परिवारवाद और दूसरा मुद्दा भ्रष्टाचार का रहा। यद्यपि मोदी ने किसी परिवारवादी पार्टी का नाम नहीं लिया और न ही किसी नेता का नाम लिया लेकिन उनका इशारा दो-टूक था। वह था कांग्रेस की तरफ। यदि कांग्रेस मां-बेटा या भाई-बहन पार्टी बन गई है तो, जो दुर्गुण उसके इस स्वरूप से पैदा हुआ है, वह किस पार्टी में पैदा नहीं हुआ है?
यह ठीक है कि कोई भी अखिल भारतीय पार्टी कांग्रेस की तरह किसी खास परिवार की जेब में नहीं पड़ी है। मगर आज अधिकतर पार्टियां प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह काम नहीं कर रही हैं। इनमें आंतरिक लोकतंत्र लकवाग्रस्त हो चुका है। एक नेता या मुट्ठीभर नेता...