Friday, November 22"खबर जो असर करे"

Tag: PM Narendra Modi

समय की जरूरत है समान नागरिक संहिता

समय की जरूरत है समान नागरिक संहिता

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- मृत्युंजय दीक्षित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार अब भारत देश हित में लिया गया अपना एक और संकल्प पूरा करने की ओर अग्रसर है और यह संकल्प है समान नागरिक संहिता का। देश लम्बे समय से समान नागरिक संहिता कानून मांग कर रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि समान नागरिक संहिता संविधान सम्मत है। भोपाल में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात के संकेत दे दिये हैं कि अब सरकार समान नागरिक संहिता पर तीव्र गति से आगे बढ़ रही है और 2024 लोकसभा चुनाव से पूर्व ही संसद के आगामी सत्रों में सदन से पारित करवाया जा सकता है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एकदम साफ कहा कि कुछ विरोधी दल जो तुष्टिकरण करते हैं तथा मुस्लिम समाज को केवल अपना वोटबैंक समझते हैं, वही यूनिफार्म सिविल कोड के नाम पर मुसलमानों को भड़का रहे हैं। उन्होंने कहा कि ...
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इतिहास रचती केन्द्र सरकार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इतिहास रचती केन्द्र सरकार

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- दीपक कुमार त्यागी गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में लंबे समय से कार्य करके अपनी छाप छोड़ चुके नरेन्द्र मोदी का राष्ट्रीय राजनीति का असली सफर 26 मई 2014 से उस वक्त शुरू हुआ जब राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में आयोजित समारोह में उन्होंने भारत के 15वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। हालांकि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान ही मोदी अपनी ओजस्वी वाकपटुता व दमदार व्यक्तित्व के दम पर देश के आम जनमानस के बीच बेहद कम समय में जगह बनाने में कामयाब हुए और इस चुनाव में अपनी अथक मेहनत के दम पर भाजपा को शीर्ष पर पहुंचा दिया। उसके बाद भी बहुत सारे ऐसे क्षण आये जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने बार-बार इतिहास रचने का कार्य किया। आज अधिकांश देशवासियों का मत है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जहां भाजपा को देश व दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनाकर संगठनात्मक स्तर पर इतिहास र...
संवैधानिक मूल्यों को समृद्ध करेगा नया संसद भवन

संवैधानिक मूल्यों को समृद्ध करेगा नया संसद भवन

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- प्रो. संजय द्विवेदी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 28 मई को संसद के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण करेंगे। भारत में संसद को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है। लोकतंत्र में संसद का वही स्थान है, जो भारतीय संस्कृति में भगवान का है। हमारे संविधान निर्माताओं ने इसलिए कहा भी था कि लोकतंत्र में प्रत्येक विचार का केंद्र बिंदु संसद ही है और राष्ट्र निर्माण में उसकी अहम भूमिका है। लोकसभा तथा राज्यसभा, दोनों सदनों ने 5 अगस्त, 2019 को सरकार से संसद के नए भवन के निर्माण के लिए आग्रह किया था। इसके बाद 10 दिसंबर, 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के नए भवन का शिलान्यास किया था। संसद के नवनिर्मित भवन को गुणवत्ता के साथ रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया है। चारमंजिला संसद भवन में 1272 सांसदों के बैठने की व्यवस्था की गई है। संसद के वर्तमान भवन में लोकसभा में 550, जबकि राज्यसभा में 250 माननीय सदस्यों की बैठक की...
‘मन की बात’ और राष्ट्रबोध

‘मन की बात’ और राष्ट्रबोध

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- डॉ. सौरभ मालवीय किसी भी राष्ट्र की उन्नति के लिए आवश्यक है कि प्रधानमंत्री की बात सीधे जनता तक पहुंचे और जनता की बात सीधे उन तक तक पहुंचे। इससे दोनों के मध्य तालमेल बना रहता है। इससे जनता को पता चलता है कि प्रधानमंत्री उनके लिए क्या सोचते हैं तथा उनके लिए क्या कार्य करे रहे हैं। इसके साथ ही प्रधानमंत्री को ज्ञात होता है कि जनता को उनसे क्या अपेक्षा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विचारों के धनी हैं। उनकी वाकपटुता अद्भुत है। उनके भाषणों में उनके इस सद्गुण को देखा जा सकता है। वह ‘मन की बात’ नामक रेडियो कार्यक्रम के माध्यम से विभिन्न विषयों पर जनता से बात करते हैं। मई 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने जनता से सीधा संपर्क करने के लिए आकाशवाणी पर ‘मन की बात’ कार्यक्रम प्रारम्भ किया था। प्रथम बार अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ के माध्यम से जनता को संबोधित किया गया। 30 अप्र...
मन की बात, बड़ी सौगात

मन की बात, बड़ी सौगात

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- अनुराग सिंह ठाकुर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सार्वभौमिक रूप से असाधारण प्रतिभा के धनी वक्ता हैं। जनता के साथ तत्काल संवाद स्थापित करने की उनकी शैली अनूठी है। वो जिस लगन के साथ बोलते हैं और जिस निष्ठा के लिए जाने जाते हैं, वह पिछले आठ वर्षों में विश्वास-आधारित संवाद 'मन की बात' से और प्रगाढ़ हुआ है। उनके समावेशी दृष्टिकोण को देश के सभी भागों में अभूतपूर्व स्वीकृति मिली है। यह प्रधानमंत्री मोदी के विकास का लोक केंद्रित मॉडल ही है, जिसने उन्हें आम लोगों का प्रिय बना दिया है। 'मन की बात' कार्यक्रम को अक्टूबर 2014 में लॉन्च किया गया था। वर्षों से यह महीने के अंतिम रविवार के लिए नियत किया गया है। यह एक रेडियो वार्ता के रूप में शुरू हुआ था; लेकिन अब इसे एक साथ विभिन्न प्लेटफार्मों पर कई भाषाओं में प्रसारित किया जाता है। 'मन की बात' में उनके दो व्यक्तित्व के दो चेहरे उभरते हैं। एक-मजबूत, शक्ति...
यह गांधीवाद नहीं, गोड़सेवाद है

यह गांधीवाद नहीं, गोड़सेवाद है

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक मध्य प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष राज पटेरिया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘हत्या’ करने की बात कह दी और अब वे सफाई देते फिर रहे हैं कि उनका हत्या से मतलब था- मोदी को हराना। वे अपने बचाव में कह रहे हैं कि वे गांधीभक्त और लोहियाभक्त हैं। उनके इस निरंकुश बयान ने उन्हें गिरफ्तार तो करवा ही दिया है, मोदी के प्रति लोगों के सद्भाव को भी मजबूत बना दिया है। यदि आज गांधी और लोहिया जिंदा होते तो वे अपना माथा कूट लेते। न सिर्फ भाजपा के नेता पटेरिया की भर्त्सना कर रहे हैं, बल्कि कई कांग्रेसीनेता भी उनकी इस गिरावट की भर्त्सना कर चुके हैं। वे म.प्र. के वरिष्ठ नेता हैं, विधायक और मंत्री भी रह चुके हैं। उनके इस बयान से मोदी के लिए शुभकामनाओं की बयार बहने लगी है और कांग्रेस को गहरा नुकसान हो रहा है। क्या पटेरिया को याद नहीं है कि सोनिया गांधी के जन्मदिन पर मोदी ने उन्हें दीर्घायु...
भारत का इतिहास कैसे लिखें?

भारत का इतिहास कैसे लिखें?

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक असम के महान सेनापति लाचित बरफुकन की 400 वीं जयंति पर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारतीय इतिहास को फिर से लिखा जाना चाहिए। यही बात कुछ दिनों पहले गृहमंत्री अमित शाह ने भी कही थी। यह ठीक है कि प्रत्येक इतिहासकार इतिहास की घटनाओं को अपने चश्मे से ही देखता है। इस कारण उसके अपने रुझान, पूर्वाग्रह और विश्लेषण-प्रक्रिया का असर उसके निष्कर्षों पर अवश्य पड़ता है। इसीलिए हम देखते हैं कि एक इतिहासकार अकबर को महान बादशाह बताता है तो दूसरा उसकी ज्यादतियों को रेखांकित करता है। एक लेखक इंदिरा गांधी को भारत के प्रधानमंत्रियों में सर्वश्रेष्ठ बताता है तो दूसरा उन्हें सबसे अधिक निरंकुश शासक सिद्ध करता है। इस तरह के दोनों पक्षों में कुछ न कुछ सच्चाई और कुछ न कुछ अतिरंजना जरुर होती है। यह पाठक पर निर्भर करता है कि वह उन विवरणों से क्या निष्कर्ष निकालता है। भारत में...

भारत के आगामी 25 वर्ष और अमृत काल

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष के अमृत महोत्सव के बाद अब भारत के आगामी 25 वर्षों के लिए तय किए गए अमृत काल पर चर्चा शुरू हो गई है। अमृत महोत्सव के दौरान नई पीढ़ी में स्वतंत्रता संग्राम के प्रसंगों से नई ऊर्जा का संचार हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदृष्टि ने इसे घर-घर पहुंचा दिया। इसमें आत्मनिर्भर भारत और विकास के अनेक पहलू दिखे। डिजिटल इंडिया अभियान के सप्तरंग भी सजे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अमृत महोत्सव को व्यापक अवसर के रूप में स्वीकार किया। उनकी सरकार ने इस अवधि में अनेक उल्लेखनीय कार्य किए। हर घर तिरंगा अभियान जनान्दोलन के रूप दिखा। विधानसभा भवन भी इसकी अभिव्यक्ति कर रहा हैं। ई कार्यवाही की व्यवस्था ने इसमें चार चांद लगा दिए।उत्तर प्रदेश विधानसभा ने पांच वर्षों में अभिनव प्रयोग किए है। दो वर्ष पहले पेपरलेस बजट प्रस्तुत किया गय...

कर्तव्य पथ का संदेश

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री आत्मनिर्भर भारत अभियान केवल अर्थिक क्षेत्र तक सीमित नहीं है। इसमें भारतीय विरासत पर गर्व करने का विचार भी शामिल है। वर्तमान सरकार इस दिशा में भी नए अध्याय जोड़ रही है। कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नौसेना के नए ध्वज का लोकार्पण किया था। इससे क्रास को हटा दिया गया। इसकी जगह छत्रपति शिवाजी की राज मुद्रा को अंकित किया गया। इसके पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने भी नौसेना के ध्वज में सुधार किया था। यह बदलाव यूपीए सरकार को पसन्द नहीं आया था। उसने फिर से क्रास को इसमें प्रतिष्ठित कर दिया। पता नहीं मनमोहन सिंह सरकार ने किसको खुश करने के लिए यह किया था। नरेन्द्र मोदी ने इसको भारतीय गरिमा के अनुरूप बनवाया है। उन्होंने इस साल लालकिले की प्राचीर से परतंत्रता के प्रतीकों से भी मुक्ति का आह्वान किया। क्रास ब्रिटिश काल की रॉयल नेवी के ध्वज में था। इस प्रतीक को बनाए ...