पूर्वोत्तर का जनादेश और वैरियर एल्विन का पिंडदान…!
- डॉ. अजय खेमरिया
पूर्वोत्तर के तीन राज्यों ने जो जनादेश दिया है उसके तीन महत्वपूर्ण राजनीतिक आयाम हैं। चेन्नई में एक दिन पहले मुख्यमंत्री स्टालिन के जन्मदिन पर विपक्षी एकता का जो जमावड़ा जुटा था वह एक सियासी सर्कस साबित हुआ। क्योंकि त्रिपुरा में वामपंथी और कांग्रेस मिलकर भी भाजपा के विजय रथ को रोक नही पाए। इसलिए 2024 में संयुक्त विपक्ष की अवधारणा स्टालिन के जन्मदिन के 24 घंटे में ही कमजोर पड़ गई।
दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण है पूर्वोत्तर में "स्व"के भाव का प्रकटीकरण। देश के इस हिस्से को स्वाधीनता के बाद नेहरू जी ने एक मिशनरी एजेंट के रूप में आये कथित मानव विज्ञानी वेररियर एल्विन के हवाले करके जो डेमोग्राफिक बदलाब यहां खड़ा किया आज उसकी विदाई के तत्व भी इस जनादेश में छिपे हैं।
राजनीतिक विमर्श नवीसी में आज भी भाजपा को काऊ बैल्ट की पार्टी कहने वालों के लिए भी यह जनादेश एक बड़े धक्के से कम नही ह...