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इसलिए जरूरी है एकीकृत चिकित्सा प्रणाली

अवर्गीकृत
- डॉ. विपिन कुमार हाल के दशकों में संपूर्ण विश्व में योग का चलन तेजी से बढ़ा है। यह हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने का महत्वपूर्ण जरिया होने के साथ ही, आध्यात्मिक प्रगति के लिए भी जरूरी है। यह एक ऐसी विधा है, जिससे हमारी नैतिक शक्ति शाश्वत मूल्यों का विकास होता है। जब हम बात योग की कर रहे हों, तो वहां महर्षि पतंजलि का नाम लेना अनिवार्य है। महर्षि पतंजलि को योग का पितामह माना जाता है। उन्होंने न सिर्फ योग के 196 सूत्रों को सहेजा, बल्कि इसे धर्म और अंधविश्वास से बाहर निकालते हुए आम लोगों के लिए भी सहज बनाया। लेकिन समय के बहाव के साथ योग भारतीय जीवन शैली से गायब हो गया। 19वीं और 20वीं सदी के दौरान योग का फिर पदार्पण हुआ। इस कालखंड में योग को बढ़ावा देने में स्वामी विवेकानंद, परमहंस योगानंद, तिरुमलई कृष्णामाचार्य, स्वामी शिवानंद, आचार्य बीकेएस आयंगर जैसे महर्षियों का महत्वपूर्ण...