Friday, November 22"खबर जो असर करे"

Tag: permanent feeling

श्रद्धा की अभिव्यक्ति ही श्राद्ध

श्रद्धा की अभिव्यक्ति ही श्राद्ध

अवर्गीकृत
- हृदयनारायण दीक्षित श्रद्धा भाव है और श्राद्ध कर्म। श्रद्धा मन का प्रसाद है। पतंजलि ने श्रद्धा को चित्त की स्थिरिता या अक्षोभ से जोड़ा है। श्रद्धा की अभिव्यक्ति श्राद्ध है। भारत में पूर्वजों पितरों के प्रति श्रद्धा की स्थाई भावना है। हम भारतवासी पूर्वजों के प्रति प्रतिपल श्रद्धालु रहते हैं लेकिन नवरात्रि उत्सवों के 15 दिन पहले से पूरा पखवारा पितर पक्ष कहलाता है। लोकमान्यता है कि इस पक्ष में पूर्वज पितर आकाश लोक आदि से उतरकर धरती पर आते हैं। हम सब पूरे वर्ष व्यस्ते रहते हैं। इसी में 15 दिन पितरों के प्रति गहन श्रद्धा का प्रसाद सुख निराला है। वैदिक निरूक्त में श्रत और श्रद्धा को सत्य बताया गया है। पितरों का आदर प्रत्यक्ष मानवीय गुण है। पिता और पूर्वज हमारे इस संसार में जन्म लेने का माध्यम हैं। वे थे, इसलिए हम हैं। वे न होते, तो हम न होते। उन्होंने पालन पोषण दिया। स्वयं की महत्वाकांक्षाएं छो...