Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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सतही राजनीति और जनाकांक्षाओं की कसौटी

सतही राजनीति और जनाकांक्षाओं की कसौटी

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- गिरीश्वर मिश्र भारत की जनता में सहते रहने की अदम्य शक्ति है और वह सबको अवसर देती है कि वे अपने वादों और दायित्वों के प्रति सजग रहें परंतु जनप्रतिनिधि होने पर भी ज्यादातर राजनेता जन-प्रतिनिधित्व के असली काम को संजीदगी से नहीं लेते हैं । चुनावी सफलता पाने के बाद वे यथाशीघ्र और यथासंभव सत्ता भोगने के नुस्खे आजमाने लगते हैं । ऐसे में जन-सेवा का वह संकल्प और जज्बा एक ओर धरा रह जाता है जो धूमिल रूप में ही सही उनके मन कभी तैर रहा होता था । दरअसल वे एक व्यापारी की तरह सोचने और काम करने लगते हैं। बिगड़ैल काल देवता से भयभीत वे राजनीति के व्यवसाय से (अपने लिए) समयबद्ध ढंग से अधिकाधिक धन-धान्य या समृद्धि उगाहने में दत्तचित्त जुट जाते हैं । पर आगे क्या हो सकता है इसका दर्दनाक उदाहरण पश्चिम बंगाल में जेलबंद शिक्षा मंत्री और उनके सहयोगियों से मिलता है। जिस तरह शिक्षक नियुक्ति के मामले में करोड़ों रुप...

जन्मदिन विशेष: जन आकांक्षाओं को पूर्ण करते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

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- शिव प्रकाश लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की विशेषताओं के संदर्भ में अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का प्रसिद्ध वाक्य "Of the people, By the people, For the people" है। भारतीय संविधान निर्माताओं ने भी इसी को आधार माना कि लोकतंत्र का उद्देश्य -जनता का, जनता द्वारा, जनता के लिए है। अर्थात हमारी समस्त व्यवस्थाओं का आधार जनता है। जनता के द्वारा का अर्थ है कि जनता के वोट से जन प्रतिनिधियों का चयन होगा एवं चयनित जनप्रतिनिधि शासन के सूत्र सम्हाल कर नीति बनाते हुए जनता के कल्याण के लिए कार्य करेंगे। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि जनता केवल वोट देने तक ही सीमित रहेगी। जनता देश के विकास में सक्रिय योगदान दे, वह सही जनप्रतिनिधियों का चयन करे, इसके लिए वह स्वार्थी न हो, क्षुद्र वृतियों से दूर रहे अर्थात नि:स्वार्थ, राष्ट्रभक्त, शिक्षित एवं संस्कारित हो। जनता में भविष्य के लिए श्रेष्ठ भारत बनाने का स्वप...