सावन का महीना और यादों में झूले…
- रमेश सर्राफ धमोरा
पड़ गए झूले सावन रुत आई रे, सीने में हूक उठे अल्लाह दुहायी रे...। ऐसे गाने सावन आते ही लोगों की जुबान पर खुद-ब-खुद आ जाते हैं। पहले सावन शुरू होते ही गांव की गलियों से लेकर शहरों तक झूले पड़ते थे। महिलाएं झूला झूलतीं और गाती थीं। सावन और भादो का महीना हमें प्रकृति के और निकट ले जाता है। झूला झूलने के दौरान गाए जाने वाले गीत मन को सुकून देते हैं। झूले गांव के बागीचों और मंदिर के परिसरों में डाले जाते थे। सावन को बहुत पवित्र महीना माना जाता है। मान्यता है कि सावन में माता पार्वती ने भगवान शिव की तपस्या करके उन्हें पाया था। सावन दक्षिणायन में आता है जिसके देवता शिव हैं। इसीलिए इन दिनों उन्हीं की आराधना शुभ फलदायक होती है। सावन के महीने में बहुत वर्षा होती है। इसलिए इसे वर्षा ऋतु का महीना या पावस ऋतु भी कहा जाता है।
भारतीय संस्कृति में झूला झूलने की परम्परा वैदिक काल से है।...