Friday, November 22"खबर जो असर करे"

Tag: patriotism

विशेष: प्रथम गुरु जैसी है मातृभाषा

विशेष: प्रथम गुरु जैसी है मातृभाषा

अवर्गीकृत
- डॉ. वंदना सेन जन्म लेने के बाद शिशु जो प्रथम भाषा सीखता है उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं। मातृभाषा, किसी भी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषाई पहचान होती है। मातृभाषा का शाब्दिक अर्थ है मां से सीखी हुई भाषा। बालक यदि माता-पिता के अनुकरण से किसी भाषा को सीखता है तो वह भाषा ही उसकी मातृभाषा कहलाती है। मातृभाषा हम सभी को उस धरातल से जोड़ती है, जो हमें आगे बढ़ते के लिए आधार प्रदान करती है। इसलिए हम यह भी कह सकते हैं कि मातृभाषा हमें राष्ट्रीयता से जोड़ती है और देश प्रेम की भावना उत्प्रेरित भी करती है। जब हम अपनी स्वयं की भाषा से इतर किसी दूसरी भाषा में शिक्षा प्राप्त करते हैं तो स्वाभाविक रूप से वह हमारा बाहरी आवरण ही होता है। क्योंकि हमारे घर का, आसपास का वातावरण मातृभाषा का ही होता है। इसका दुष्परिणाम यह भी होता है कि हम घर परिवार और समाज से समरस होने का सामर्थ्य खो देते हैं। हम केवल एक भाषा के त...

राष्ट्रप्रेम का ज्वार, अखंड भारत का सपना हो सकार

अवर्गीकृत
- सुरेश हिन्दुस्थानी वर्तमान में जब कहीं से भी देश को तोड़ने की बात आती है तो स्वाभाविक रूप से उसका प्रतिकार भी जबरदस्त तरीके से होता है। यह प्रतिकार निश्चित रूप से उस राष्ट्रभक्ति का परिचायक है, जो इस भारत देश को देवभूमि भारत के रूप में प्रतिस्थापित करने का प्रमाण प्रस्तुत करने का अतुलनीय सामर्थ्य रखती है। यह आज के समय की बात है, लेकिन हम उस कालखंड का अध्ययन करें, जब भारत का विभाजन दर विभाजन हुआ। उस समय के भारतीयों के मन में विभाजन का असहनीय दर्द हुआ। जो असहनीय पीड़ा के रूप में उनके जीवन में प्रदर्शित होता रहा और देश को जगाते-जगाते वे परलोक गमन कर गए। अभी तक भारत देश के सात विभाजन हो चुके हैं। जरा कल्पना कीजिए कि अगर आज भारत अखंड होता तो वह दुनिया की महाशक्ति होता। उसके पास मानव के रूप में जनशक्ति का प्रवाह होता। लेकिन विदेशी शक्तियों ने भारत के कुछ महत्वाकांक्षी शासकों को प्रलोभन देकर ...