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विभाजन विभीषिका : सपने सच होने बाकी हैं, रावी की शपथ अधूरी है

विभाजन विभीषिका : सपने सच होने बाकी हैं, रावी की शपथ अधूरी है

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- डॉ. मयंक चतुर्वेदी भारत का विभाजन हुआ यह सभी ने देखा। कहा जाता है कि नियति ही उस दिन की ऐसी थी, पहले से सब कुछ तय था । पटकथा लिखी जा चुकी थी, परिवर्तन की संभावना शून्य थी। लेकिन इतिहास तो ऐसे कई उदाहरणों से भरा पड़ा है, जब पूर्ण वेग विपरीत दिशा में था उसके बाद भी परिवर्तन संभव हो सके, जो कहीं वर्तमान में दिखाई नहीं देते थे। भारत विभाजन का एक सच यह भी है, यदि उस समय देश का अहिंसक आन्दोलन जिसमें कि सबसे अधिक जनसंख्या में लोगों का विश्वास रहा, उसका नेतृत्व कर रहे महात्मा गांधी अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की तरह निर्णय लेने की दृढ़ प्रतिज्ञा कर लेते तो देश का परिदृश्य ही कुछ ओर होता, क्योंकि यह स्वभाविक है कि जैसा नेतृत्व होता है, संगठन, सत्ता, शासन की धारा उसी अनुसार बही चली जाती है। दुनिया जानती है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंग्रेजों का भारत छोड़कर जाना अपरिहार्य ...
नेताजी जीवित होते तो देश का बंटवारा न होने देते

नेताजी जीवित होते तो देश का बंटवारा न होने देते

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- आर.के. सिन्हा क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस जीवित होते तो पाकिस्तान कभी बन पाता? यह बहस लंबे समय से चल रही है। इस विषय पर इतिहासकारों और विद्वानों में मतभेद भी रहे हैं। अब इस बहस में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी शामिल हो गए हैं। उन्होंने हाल ही में कहा कि "अगर नेताजी सुभाषचंद्र बोस जिंदा होते तो भारत का बंटवारा नहीं होता।” क्या वे मोहम्मद अली जिन्ना को समझा पाते कि भारत के बंटवारे से किसी को कुछ लाभ नहीं होगा? यह सवाल अपने आप में काल्पनिक होते हुए भी महत्वपूर्ण हैं। नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जीवनकाल में ही अखिल भारतीय मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान का प्रस्ताव पारित किया था। जिन्ना ने 23 मार्च, 1940 को लाहौर के बादशाही मस्जिद के ठीक आगे बने मिन्टो पार्क में जनसभा को संबोधित करते हुए अपनी घनघोर सांप्रदायिक सोच को प्रकट कर दिया था। जिन्ना ने सम्मेलन में अपने दो घंटे लंबे बेहद आक्रामक भ...

महाराष्ट्र: CM शिंदे ने किया मंत्रियों के विभागों का बंटवारा, फडणवीस को वित्त और गृह विभाग की जिम्मेदारी

देश
मुंबई। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Chief Minister Eknath Shinde) ने रविवार को अपने कैबिनेट के नव नियुक्त मंत्रियों (newly appointed ministers) के बीच विभागों का बंटवारा (Division of portfolios) किया है। इस बंटवारे में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Deputy Chief Minister Devendra Fadnavis) को गृह विभाग, वित्त और नियोजन विभार, कानून और न्याय, जल संसाधन और लाभ क्षेत्र विकास, आवास, ऊर्जा विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। विभागों की घोषणा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की मंजूरी के बाद की है। मुख्यमंत्री ने शिंदे ने अपने पास सामान्य प्रशासन, शहरी विकास, सूचना एवं प्रौद्योगिकी, सूचना एवं जनसंपर्क, लोक निर्माण (सार्वजनिक परियोजनाएं), परिवहन, विपणन, सामाजिक न्याय एवं विशेष सहायता, राहत एवं पुनर्वास, आपदा प्रबंधन, मृदा एवं जल संरक्षण, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन, अल्पसंख्यक और औकाफ...

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस और अखंड भारत का संकल्प

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- डॉ. रामकिशोर उपाध्याय अब भारत में 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के रूप में मनाया जाएगा। इससे पहले भी कुछ लोग इसे 'अखंड भारत संकल्प दिवस' के रूप में स्मरण करते आए हैं। कुछ इस पर मौन रहते हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इसके विरोध में वक्तव्य देते रहते हैं। विभाजन की विभीषिका और अखंड भारत के संकल्प पर चर्चा करने से पहले कांग्रेस कार्यकारिणी समिति की उस बैठक के एक दृश्य को स्मरण कर लेते हैं जिसमें कांग्रेस ने बंटवारे को अंतिम रूप से स्वीकार कर लिया था। इस बैठक में डॉ. राममनोहर लोहिया भी उपस्थित थे। लोहिया के शब्दों में 'इसके पहले कि गांधीजी अपनी बात पूरी कर पाते, श्री नेहरू ने तनिक आवेश में आकर बीच में उन्हें टोका और कहा कि उनको वे पूरी जानकारी बराबर देते रहे हैं। महात्मा गांधी के दुबारा दुहराने पर कि उन्हें विभाजन की योजना के बारे में जानकारी नहीं थी, श्री नेहरू ने अपनी पहले कही बा...

यादें बंटवारे की: शरणार्थी कैसे उठे राख के ढेर से

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- आरके सिन्हा भारत अपनी स्वाधीनता के 75 साल पूरे कर रहा है। सारे देश में उत्साह और उल्लास का वातावरण बन गया है। लेकिन, भारत को आजादी की बड़ी कीमत देश के बंटवारे के रूप में अदा करनी पड़ी थी। यह भी एक कटु सत्य है। हजारों निर्दोषों ने अपनी जानें गंवाई। लाखों लोगों को अपने घरों से दूर जाकर अपनी नई दुनिया बसानी पड़ी थी। आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो हमें उन पंजाबी और बंगाली शरणार्थियों को अवश्य याद रखना होगा, जिन्होंने कठिन और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने हिस्से का आसमान छुआ। पंजाब से आये शरणार्थियों ने कारोबारी दुनिया में अपनी कड़ी मेहनत और जीवटता से अभूतपूर्व सफलता हासिल की। अगर आप राजधानी दिल्ली में रहते हैं या फिर वहां पर आते-जाते रहते हैं तो आपने वहां लोकप्रिय बंगाली मार्केट के पास तानसेन मार्ग के कोने पर स्थित फेडरेशन ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) का भवन देखा ह...