स्वाधीनता की अपेक्षाएँ
- गिरीश्वर मिश्र
स्वतंत्रता- यह शब्द सुन कर अक्सर मन में सबसे पहले बंधन से मुक्ति का भाव आता है। इस स्थिति में किसी तरह के बंधन नहीं रहते और प्राणी को स्वाधीनता का अहसास होता है। परंतु स्वतंत्रता निष्क्रिय शून्यता की स्थिति नहीं है और स्वतंत्रता स्वच्छंदता भी नहीं है। वह दिशाहीन नहीं हो सकती। बिना किसी लक्ष्य के निरुद्देश्य स्वतंत्रता कोई अर्थ नहीं रखती। इस बारे में सोचते हुए ये सवाल उठते हैं कि स्वतंत्रता किससे चाहिए? और यह भी कि स्वतंत्रता किसलिए चाहिए? सच कहें तो स्वतंत्रता या स्वतंत्र (बने) रहना एक क्रिया है, एक जिम्मेदार क्रिया क्योंकि इसमें किसी और पर निर्भरता नहीं रहती।
स्वतंत्र होकर संकल्प और आचरण के केंद्र हम स्वयं हो जाते हैं। स्वतंत्रता बनी रहे और जिस उद्देश्य के लिए है, वह पूरा होता रहे ऐसा अपने आप नहीं हो सकता। इसके लिए प्रतिबद्धता और दिशाबोध के साथ जरूरी सक्रियता भी होनी चा...