Friday, November 22"खबर जो असर करे"

Tag: Pandit Deendayal Upadhyay

पं. दीनदयाल उपाध्याय के बताए रास्ते पर चल रही हमारी सरकारः डॉ. मोहन यादव

पं. दीनदयाल उपाध्याय के बताए रास्ते पर चल रही हमारी सरकारः डॉ. मोहन यादव

देश, मध्य प्रदेश
- महिला मोर्चा द्वारा स्वसहायता समूह एवं एनजीओ संपर्क अभियान के अंतर्गत कार्यशाला का आयोजन भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) ने कहा कि भाजपा (BJP) जिन बातों को लेकर जनता के बीच गई थी, उनमें से अधिकांश लक्ष्य हमारी सरकार ने हासिल कर लिए हैं। अंत्योदय हमारा अंतिम लक्ष्य (Antyodaya is our ultimate goal) है। हमारी सरकार ’वसुधैव कुटुम्बकम’ के मंत्र (Mantras of 'Vasudhaiva Kutumbakam') पर आगे बढ़ रही है और इसको साकार करने की दृष्टि से यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने आसपास के व्यक्तियों को किस तरह सहारा देते हैं? यही हमारी संस्कृति की विशेषता भी है। अंत्योदय और गरीब कल्याण के लक्ष्यों को हासिल करने में महिला स्व सहायता समूहों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि भाजपा महिला सशक्तीकरण के माध्यम से इन लक्ष्यों को हासिल करना चाहती है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव श...
सभ्यतागत त्रासदी का एकात्म मानव दर्शन

सभ्यतागत त्रासदी का एकात्म मानव दर्शन

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- रजनीश कुमार शुक्ल एकात्म मानववाद जैसी विचारधारा और अंत्योदय के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आज (25 सितंबर) जयंती है। उनका एकात्म मानव दर्शन मनुष्य को केंद्र में रखकर के संपूर्ण विश्व व्यवस्था का और उससे आगे बढ़ते हुए ब्रह्मांड व्यवस्था का मूल्याधिष्ठित किंतु व्यावहारिक विश्लेषण एवं दार्शनिकीकरण है। हम जानते हैं कि दर्शन के रूप में इसका सैद्धांतीकरण 1965 में आयोजित भारतीय जनसंघ के कालीकट अधिवेशन में हुआ था, जिसमें भारतीय जनसंघ के नीति प्रारूप के रूप में इस पर चर्चा की गई। चर्चा के अनंतर इसे भारतीय जनसंघ के दिशा निर्देशक सिद्धांत और दार्शनिक अधिष्ठान के रूप में स्वीकार किया गया। इसके तत्काल बाद मुंबई में देशभर के भारतीय जन संघ के कार्यकर्ताओं के समक्ष पं.दीनदयाल उपाध्याय जी ने एकात्म मानव दर्शन को विस्तार से प्रस्तुत किया। एकात्म का तात्पर्य एक ही होना है। एक ही प्रकार की चेतना , बुद...

एकात्म मानववाद का सच होता सपना

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- श्याम जाजू भारतीय राजनीति को नया वैचारिक धरातल देने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय की इस बार रविवार को 106वीं जयंती है। हर वर्ष भाजपा, केंद्र और प्रदेशों में इसकी सरकारें अनेक कार्यक्रम कर पंडित जी और उनके वैचारिक दर्शन 'एकात्म मानववाद' पर चिंतन करती हैं तथा अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं। पर भाजपा से परे अन्य दलों और सामान्य-जन के बीच इस पर चर्चा न के बराबर होती है। यूं कि दीनदयाल सिर्फ भाजपा के ही हों! दुर्भाग्य से 20वीं सदी के इस विलक्षण विचारक के बारे में देश में बहुत कम जानकारी है। जो जानते भी हैं, वे भी इतना ही जानते हैं कि भाजपा रूपी वटवृक्ष की जड़ों को जनसंघ के रूप में सींचनेवाले उपाध्याय ही थे। मात्र 52 वर्ष की उम्र में पं दीनदयाल चले गए, पर अपने पीछे इतना कुछ छोड़ गए कि इस देश के राष्ट्रवादी उनके ऋण से कभी उऋण नहीं हो सकेंगे। जिस संगठन के पौधे को उन्होंने सींचा, वह आज भाजपा के ...