Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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चासनाला त्रासदी की टीस… आपातकाल और काला पत्थर

चासनाला त्रासदी की टीस… आपातकाल और काला पत्थर

अवर्गीकृत
- मुकुंद भारतीय इतिहास में वर्ष 1975 हर साल दो 'बड़ी' घटनाओं के लिए याद किया जाता है। एक आपातकाल। दूसरा चासनाला कोयला खान त्रासदी। झारखंड (तबके बिहार का भू-भाग ) के कोयलांचल धनबाद में हर साल चासनाला खान दुर्घटना की टीस उठती है। हर साल हजारों आंसू गिरते हैं...। चासनाला शहीद स्मारक में कालकलवित 375 मजदूरों को श्रद्धांजलि देकर एशिया की बड़ी खान दुर्घटनाओं में से एक के जख्म फिर हरे हो जाते हैं। ...और आंख बंद करते ही इस त्रासदी पर बनी फिल्म 'काला पत्थर' ( 24 अगस्त, 1979) का नायक अमिताभ बच्चन सामने आने लगता है। समूचे देश के लिए वो डरावनी तारीख 27 दिसंबर, 1975 है। चासनाला कोलियरी की डीप माइंस खान में जल प्लावन से इन मजदूरों की जिंदगी दफन हो गई थी। इस जल प्लावन से कोयलांचल ही नहीं, पूरा देश दहल उठा था। आज (बुधवार) फिर शहीद स्मारक में इनकी बरसी पर वेदी के पास सर्व धर्म सभा कर फूल चढ़ाए जाएंगे...
भूखे रहने की तकलीफ को मैं जानता हूं : प्रधानमंत्री मोदी

भूखे रहने की तकलीफ को मैं जानता हूं : प्रधानमंत्री मोदी

देश, मध्य प्रदेश
- चुनावी मौसम देखकर योजनाएं लाती थीं पहले की सरकारें, हमारा प्रयास सबको सहारा दें: मोदी सागर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को सागर जिले के बड़तूमा में संत शिरोमणि रविदास के स्मारक और कला संग्रहालय का भूमिपूजन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि संत रविदास कहते थे कि समाज ऐसा हो, जिसमें कोई भूखा न रहे। आजादी के अमृतकाल में हमारी सरकार भी देश को भूख और गरीबी से मुक्ति दिलाने का प्रयास कर रही है। कोरोना महामारी के दौरान जब सारी दुनिया में व्यवस्थाएं ठप हो गई थीं, तब लोग यह आशंका जताने लगे थे कि इस आपदा के दौरान देश के गरीब, दलित, आदिवासी कैसे जीवित रहेंगे? लेकिन मैंने तय किया किसी गरीब को भूखे पेट नहीं सोने दूंगा। भूखे रहने की तकलीफ को मैं जानता हूं। किसी गरीब का स्वाभिमान क्या होता है, यह भी मुझे पता है। हमने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की और 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिय...
विश्व दिव्यांग दिवस: देश को समझाना होगा प्रधानमंत्री का दर्द

विश्व दिव्यांग दिवस: देश को समझाना होगा प्रधानमंत्री का दर्द

अवर्गीकृत
- रमेश सर्राफ धमोरा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विकलांगों को दिव्यांग कहने की अपील के पीछे तर्क था कि शरीर के किसी अंग से लाचार व्यक्तियों में ईश्वर प्रदत्त कुछ खास विशेषताएं होती हैं। विकलांग शब्द उन्हें हतोत्साहित करता है। अच्छी बात यह है कि प्रधानमंत्री के आह्वान पर लोगों ने विकलांगों को दिव्यांग कहना शुरू कर दिया है। अनेक दिव्यांगों ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाना शुरू कर दिया है। मगर दुखद यह है कि आज भी तमाम लोग दिव्यांगों को दयनीय दृष्टि से देखते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1992 में हर वर्ष 03 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय विकलांग दिवस मनाने घोषणा की गई थी। इसका उद्देश्य समाज के सभी क्षेत्रों में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों को बढ़ावा देना और राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन में दिव्यांगों के बारे में जागरुकता बढ़ाना था। मगर अधिकतर लोगों को इस ब...

यूपी में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना, गर्भवती महिला ने एंबुलेंस के इंतजार में ठेले पर दिया बच्चे को जन्म

देश
बस्ती । उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बस्ती जिले (Basti district) के कप्तानगंज में मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है. एंबुलेंस (Ambulances) के इंतजार में एक महिला (woman) ने ठेले पर ही बच्चे को जन्म दे दिया. रमवापुर गांव के राम सागर के यहां उनकी साली 28 वर्षीय सीमा कुछ दिन पहले इस उम्मीद से आई थी कि यहां से कप्तानगंज अस्पताल नजदीक है. इससे उसे खुद और आने वाले बच्चे का सही इलाज हो पाएगा. हालांकि, उसकी उम्मीदों को अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से बड़ा झटका लगा. मंगलवार रात करीब 9 बजे जब सीमा को प्रसव पीड़ा शुरू हुई तो राम सागर और परिजनों ने 102 नंबर पर फोन किया. वहां से एंबुलेंस की आईडी दी गई, जो कप्तानगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर खड़ी थी. काफी देर तक इंतजार करने के बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची. इधर महिला का दर्द बढ़ता जा रहा था. ऐसे में राम सागर ठेले पर ही सीमा को अपनी ...