डिजिटल वॉर से सकते में दुनिया
-ऋतुपर्ण दवे
संचार क्रांति के दौर में चौतरफा और रोजाना नित नई तकनीकों से दुनिया रू-ब-रू हो रही है। मोबाइल, जीपीएस, इण्टरनेट, बिना ड्राइवर की गाड़ियों से लेकर अब कृत्रिम मेधा यानी एआई (आर्टीफीसियल इण्टेलीजेन्स) के युग में 1950 के जमाने में न्यूयॉर्क से निकले पेजर, 74 वर्षों के बाद पहली बार और एक साथ सीरियल ब्लास्ट में तब्दील हो जाएंगे, भला किसने सोचा था? रेडियो फ्रिक्वेंसी पर चलने वाले पेजर का क्रेज अब न के बराबर है। लेकिन किसी पकड़ या सुराग के लिहाज से बेहद सुरक्षित पेजर का उपयोग आतंकी गतिविधियों में जरूर थोक में होने लगा। इसमें न जीपीएस होता है और न ही कोई आईपी एड्रेस, इसलिए लोकेशन ट्रेस का सवाल ही नहीं। इसका नंबर भी बदला जा सकता है। इसीलिए इसका पता लगाना आसान नहीं होता। बस इसी चलते एक बड़ी साजिश को अंजाम देकर बड़े षड्यंत्र के तहत 9/11 जैसी बल्कि उससे भी बहुत बड़े दायरे में लेबनान में हर...