Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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नेता प्रतिपक्ष और भारतीय लोकतंत्र

नेता प्रतिपक्ष और भारतीय लोकतंत्र

अवर्गीकृत
- डॉ. नुपूर निखिल देशकर भारतीय लोकतंत्र को यह जहरीला घूंट अब बार-बार पीना पड़ेगा। नेता प्रतिपक्ष के रूप में अभिभाषण पर बोलते हुए राहुल गांधी के भीतर का वह सब बाहर आ गया है जो दस साल से दबा छिपा था। चुनाव परिणामों से संजीवनी प्राप्त राहुल ने भले ही समूचा विष एक साथ उगल डाला हो लेकिन उन्होंने भाजपा के तमाम दिग्गज नेताओं को बार बार प्रतिवाद करने पर मजबूर कर दिया। इतना अधिक उद्वेलित किया कि न केवल राजनाथ सिंह,न केवल अमित शाह अपितु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसे शीर्ष नेताओं को बीच बीच में खड़े होकर जवाब देने पर मजबूर होना पड़ा। एक तरह से यह राहुल के झूठ की जीत और बीजेपी टॉप लीडरशिप की पराजय है। राहुल गांधी हिन्दुत्व, भाजपा और संघ को सीधे सपाट ढंग से कोसते हुए सदन में पहली बार बेलगाम नेता के बतौर सामने आए। उनका यह बदला हुआ रूप आने वाले दिनों में एक नई राजनीति की ओर इशारा कर रहा है। जाहिर...
नेता विपक्ष की कार्यशैली से देश परखेगा राहुल गांधी का सियासी ज्ञान

नेता विपक्ष की कार्यशैली से देश परखेगा राहुल गांधी का सियासी ज्ञान

अवर्गीकृत
- डॉ. रमेश ठाकुर सोलहवीं और 17वीं लोकसभा में नंबरों के लिहाज से कांग्रेस 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में इतनी पिछड़ गई थी कि उसे नेता प्रतिपक्ष का पद भी नसीब नहीं हुआ। नेता विपक्ष पद की बात तो दूर, पार्टी का भविष्य और अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया था। कम नंबर संख्या के कारण ही संसद में नेता विपक्ष की सीट भी रिक्त रही। पर, कहते हैं कि सियासत में चमत्कार की संभावनाएं अन्य क्षेत्रों के मुकाबले ज्यादा रहती हैं। किसके सितारे कब बुलंद हो जाए और किसके अचानक बुझ जाएं? इसका दारोमदार जनता के मूड और विचारों पर निर्भर रहता है? 2024 के आम चुनाव में हुआ भी कमोबेश कुछ ऐसा ही। भाजपा 400 पार के नारे के साथ फिर से प्रचंड बहुमत में आने को पूरी तरह आश्वस्त थी, लेकिन जनता ने अस्वीकार कर दिया। मौका जरूर दिया, लेकिन आधा-अधूरा। हालांकि, कांग्रेस ने इस बार उम्मीद से कहीं बढ़कर प्रदर्शन कर खुद को लड़ाई में बरकरार रख...