शिक्षा से ही स्वर्णिम भारत की कल्पना साकार होगी
- गिरीश्वर मिश्र
देश को अगले तीन दशकों के बीच यानी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाते वक्त विकसित देशों में शुमार करने का संकल्प बड़ा ही आकर्षक है। हालांकि हालात कैसे करवट बदलते हैं कोई नहीं जानता। इसलिए दावे से यह नहीं कहा नहीं जा सकता कि 2047 तक दुनिया क्या रूप ले लेगी। आज की स्थितियां बनी रहेंगी या कुछ और नक्शा बनेगा अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। सन सैंतालीस से अब तक के दौर में इतिहास भूगोल के साथ काफी कुछ घटित हो चुका है। यह भी हो सकता है उस मुकाम तक पहुंचते-पहुंचते 'विकसित' का मायने ही कुछ और हो जाए। इसलिए इस बात पर भी गौर करने की जरूरत है कि विकसित भारत से हमारा क्या आशय होगा। राम-राज्य चाहिए पर वह व्यवस्था जिसमें सभी कुशल क्षेम से रहें उसके पैमाने बहुत स्पष्ट नहीं हैं। आज के भारत में निश्चय ही अनेक मोर्चों पर उल्लेखनीय सफलता मिली है और देश नि:संदेह आगे बढ़ा है। देश की न केवल आधार-संरचना विस...