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जनसंख्या वृद्धि खुशी के साथ चिंता भी!

जनसंख्या वृद्धि खुशी के साथ चिंता भी!

अवर्गीकृत
- प्रमोद भार्गव भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहां दुविधा और विरोधाभास प्रगति के समानान्तर चलते हैं। अतैव जनसंख्या बल जहां शक्ति का प्रतीक है, वहीं उपलब्ध संसाधनों पर बोझ भी है। इसलिए अनेक समस्याएं भी सुरसामुख बन खड़ी होती रहती हैं। हालात तब और कठिन हो जाते हैं, जब संसाधनों के बंटवारे में विसंगति बढ़ती चली जा रही हो? गोया कहा जा सकता है कि बढ़ती आबादी वरदान नहीं बोझ है। नतीजतन 'संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष' की रिपोर्ट ने जब ये आंकड़े जारी किए कि भारत की आबादी चीन से अधिक बढ़ गई है, तो चिंता बढ़नी स्वाभाविक है। हालांकि यह संभावना बहुत पहले से जताई जा रही थी कि भारत आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा। बावजूद इसके कुछ जनसंख्या विशेषज्ञ इस बात को लेकर आशंका जता रहे हैं कि यह समय अभी नहीं जून में आना था। परंतु आम आदमी को आंकड़ों की बाजीगरी न तो आसानी से समझ आती है और न ही वह किसी निष्कर्ष ...
देश को नई सीएसआर निगरानी नीति की आवश्यकता

देश को नई सीएसआर निगरानी नीति की आवश्यकता

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- डॉ. अजय खेमरिया भारत दुनिया का इकलौता देश है जहां कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) को कानूनन अनिवार्य बनाया गया है। यह कानून व्यापारिक गतिविधियों से अर्जित धनलाभ में से कुछ भाग को सामाजिक रूप से व्यय करने के प्रावधान करता है। 01 अप्रैल, 2014 से यह कानून लागू है। अब इस कानून और इसके क्रियान्वयन के अनुभवों पर विचार करने की आवश्यकता के नई सीएसआर निगरानी नीति की जरूरत महसूस की जा रही है। यह कानून हमारे हजारों साल पुराने जीवन दर्शन की बुनियाद पर खड़ा है। यह ऐसी बुनियाद है जहां दान और परोपकार का उद्देश्य समाज के वास्तविक जरूरतमन्दों के लिए विकास और उत्कर्ष के अवसरों को सुनिश्चित करने के लिए होता रहा है। यह कानून सिर्फ भारतीय कंपनियों पर ही लागू नहीं होता है बल्कि उन सभी विदेशी कंपनियों के पर लागू होता है जो भारत में कार्य करती हैं। कानून के अनुसार, एक कंपनी को जिसका सालाना नेटवर्थ 500 क...