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मरीजों को पीड़ामुक्त करती नर्सों के चेहरे की मुस्कान भी बनी रहे!

मरीजों को पीड़ामुक्त करती नर्सों के चेहरे की मुस्कान भी बनी रहे!

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- डॉ. आर.के. सिन्हा भारत में रोगियों का अस्पतालों में तस्ल्लीबख्श इलाज किस तरह से हो, इस मसले पर नए-नए सुझाव सामने आते रहते हैं। सब अपने-अपने अनुभव और जानकारी के हिसाब से बताते हैं कि रोगियों को हम किस तरह से उच्च कोटि का इलाज दे सकते हैं। पर सारी बहस में हेल्थ सेक्टर की जान नर्सों के योगदान और उनके हितों की चर्चा कहीं पीछे छूट जाती है। यह बात ध्यान रखने की है कि अपने पेशे के प्रति निष्ठावान नर्सों के बिना रोगियों को सही ढंग से इलाज ही संभव नहीं है। इसलिए नर्सों की ट्रेनिंग और इनकी पगार और दूसरी सुविधाओं, खासकर इनके साथ होने वाले विनम्र व्यवहार पर खास देते रहना होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का मानना है कि एक हजार की आबादी पर चार नर्सें लाजिमी तौर पर होनी चाहिए। भारत अभी तक इस स्थिति तक नहीं पहुंचा है। भारत में एक हजार लोगों पर औसत दो ही प्रशिक्षित नर्स उपलब्ध हैं। भारत को अपने...
नर्स दिवस पर विशेष: स्वास्थ्य तंत्र की ‘रीढ़’ हैं नर्सें

नर्स दिवस पर विशेष: स्वास्थ्य तंत्र की ‘रीढ़’ हैं नर्सें

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- डॉ. रमेश ठाकुर नर्स का नाम आते ही सफेद या आसमानी वस्त्र में किसी रोगी की सेवा करती युवती की तस्वीर आंखों के सामने उभर कर आती है। चिकित्सा कार्यों में सहयोग देने वाली युवतियों ने इस कार्य को इतना महान बना दिया है कि लोग इन्हें बहुत आदर और प्रेम से ‘सिस्टर’ कहकर पुकारते हैं। बिना भेदभाव के वह इस मुंह बोले रिश्ते को अपने पेशे के साथ-साथ बखूबी निभाती भी हैं। इसीलिए ये नर्स चिकित्सा में सेवा, समूचे स्वास्थ्य तंत्र और उससे जुड़ी तमाम चिकित्सीय प्रणालियों की ‘रीढ़’ मानी जाती हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहायक के रूप में इनके योगदान की जब बातें होती हैं तो शब्द कम पड़ जाते हैं। 12 मई को ‘अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस’ है जो पूरी तरह से इन्हीं के कर्तव्यों को समर्पित है। नर्सों का योगदान तो हमेशा से सराहनीय रहा ही है। पर, कोरोना महामारी में इनके समक्ष जो चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हुईं, उनका भी इन्होंने...
विशेष: नर्सों के समाज के लिए योगदान को नमन

विशेष: नर्सों के समाज के लिए योगदान को नमन

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- योगेश कुमार गोयल दया और सेवा की प्रतिमूर्ति फ्लोरेंस नाइटिंगेल को आधुनिक नर्सिंग की जन्मदाता माना जाता है, जिनकी शुक्रवार को हम 203वीं जयंती मना रहे हैं। प्रतिवर्ष उन्हीं की जयंती को 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस विशेष अवसर पर स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत नर्सिंग कर्मियों के योगदान को नमन करना बेहद जरूरी है। ‘लेडी विद द लैंप’ के नाम से विख्यात नाइटिंगेल का जन्म 203 वर्ष पहले 12 मई, 1820 को इटली के फ्लोरेंस शहर में हुआ था। भारत सरकार द्वारा वर्ष 1973 में नर्सों द्वारा किए गए अनुकरणीय कार्यों को सम्मानित करने के लिए उन्हीं के नाम से ‘फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार’ की स्थापना की गई थी, जो प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के अवसर पर प्रदान किए जाते हैं। फ्लोरेंस नाइटिंगेल एक बेहद खूबसूरत, पढ़ी-लिखी और समझदार युवती थीं। उन्होंने अंग्रेजी, इटेलियन, लैटिन, जर्म...