सिर्फ फौरी अंशदान से समृद्ध नहीं होगा किसान
- अरुण कुमार दीक्षित
कृषि कर्म अब लाभकारी नहीं रहा। किसानों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उन्हें उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता। लागत अधिक है और मुनाफा कम है। बीज महंगे हैं। कृषि यंत्र महंगे हैं। कारें सस्ती हैं। कृषि कार्य में उपयोग में लाये जाने वाले ट्रैक्टर महंगे हैं। कारों को बैंक तत्काल ऋण देते हैं। किसानों को ऋण देने में त्रस्त होने की सीमा तक चक्कर लगवाते हैं। सरकारी तंत्र द्वारा छूट के लिए दफ्तर पहुंचे किसानों को आदर नहीं दिया जाता। उन्हें कई बार परेशान किया जाता है। कागजी औपचारिकता के लिए सरकारी तंत्र की आदतें भी बैंकों जैसी हैं। बड़ी समस्या यह भी है कि फसलों के उत्पादन के बाद उपज बेचने के लिए बाजार उपलब्ध नहीं है। बिचौलियों का सहारा लेकर ही किसान अनाज बेच पाते हैं। कई बार बिचौलिए ही किसानों की भूमिका में देखे जाते हैं। इसका एक कारण यह भी है कि किसानों के पास अपनी उ...