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यह सिर्फ चुनाव नहीं, राष्ट्रधर्म की स्थापना का सनातन यज्ञ भी है

यह सिर्फ चुनाव नहीं, राष्ट्रधर्म की स्थापना का सनातन यज्ञ भी है

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- संजय तिवारी लोकसभा 2024 का चुनाव वस्तुतः एक धर्मयुद्ध है। इसको बहुत संजीदगी से सभी को लड़ना ही होगा। राजनीतिक जय-पराजय अपनी जगह है किंतु देश को जीतना चाहिए। राष्ट्र विजयी हो, ऐसा संकल्प होना चाहिए। इसके लिए प्रतिज्ञा की नहीं केवल संकल्प की आवश्यकता है। प्रतिज्ञा में शक्ति नहीं होती। वह भीष्म बनाती है किंतु संकल्प शक्ति से भरी होती है। वह शिव बनाती है। शिव कल्याणकारी हैं। शिव से ही सत्य और सुंदर भी स्थापित हो पायेंगे। संकल्प और प्रतिज्ञा के बारे में श्रीमदभगवदगीता में भगवान कृष्ण ने बहुत सलीके से समझा दिया है। याद कीजिए कि जब जयद्रथ को मारने की प्रतिज्ञा अर्जुन कर लेते हैं कि सूर्यास्त तक नहीं मारा तो अग्नि समाधि ले लूंगा। आचार्य द्रोण कमलव्यूह के अंदर जयद्रथ को छुपा देते हैं जिसका आकर 32 कोस का था। जाहिर है वह उस तक कैसे पहुँचते ! जयद्रथ की सुरक्षा में बड़े बड़े वीर तैनात थे। भगवान...

तुलसी जयंती विशेषः यूं ही नहीं कोई गोस्वामी बन जाता

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- योगेश कुमार गोयल श्रीराम को जन-जन का राम बना देने वाले गोस्वामी तुलसीदास को जन-जन का कवि कहा जाता है। तुलसीदास को आखिर गोस्वामी क्यों कहा जाता है, यह जानना दिलचस्प है। दरअसल गोस्वामी का अर्थ है, इंद्रियों का स्वामी अर्थात जिसने अपनी इंद्रियों को वश में कर लिया हो यानी जितेन्द्रिय। तुलसीदास पत्नी के धिक्कारने पर सांसारिक मोहमाया से विरक्त होकर संन्यासी अर्थात जितेन्द्रिय या गोस्वामी हो गए थे। इसी परिप्रेक्ष्य में तुलसीदास को गोस्वामी की उपाधि से विभूषित किया जाने लगा। महान ग्रंथ ‘श्री रामचरित मानस’ के रचयिता और मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास जी की जयंती विक्रमी संवत् के अनुसार हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मनाई जाती है, जो इस वर्ष 4 अगस्त को मनाई जा रही है। विक्रमी संवत् 1554 में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के राजापुर में जन्मे तुलसीदास ने जीवन की म...