Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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पूर्वोत्तर में बढ़ती रेल दुर्घटनाएँ केवल लापरवाही है या आतंकी षड्यंत्र?

पूर्वोत्तर में बढ़ती रेल दुर्घटनाएँ केवल लापरवाही है या आतंकी षड्यंत्र?

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- रमेश शर्मा भारत के पूर्वोत्तर में होने वाली रेल दुर्घटनाओं में अचानक वृद्धि देखी गई। इन दुर्घटनाओं ने यह प्रश्न भी खड़ा किया कि दुर्घटनाओं की यह वृद्धि केवल मेन्टेनेन्स का अभाव है या कोई आतंकवादी षड्यंत्र। जून, जुलाई और अगस्त के तीन माह में बंगाल, झारखंड, उड़ीसा और असम रेलवे परिक्षेत्र में छह बड़ी रेल दुर्घटनाएँ हुईं। और दो होते-होते बचीं। इनमें चार दुर्घटनाओं में रेलगाड़ियाँ पटरी से उतरीं और दो रेलगाड़ियाँ गलत पटरी पर चलीं गईं और दूसरी रेलगाड़ी से टकरा गईं। जो दो रेलगाड़ियाँ दुर्घटना से बच गई, इन दोनों की रेल पटरी पर लकड़ी रखी पाई गई थी। यदि चालक गाड़ी नहीं रोकता तो दुर्घटना अवश्य होती। दोनों में लकड़ी रखे होने का तरीका एक-सा था। यही बात चौंकाने वाली थी। क्या एक ही तरह से दो पटरियों पर लकड़ी का मिलना सामान्य संयोग ही था या किसी षड्यंत्र का हिस्सा? एक ही तरीके से दो रेल पटरियों पर लकड़ी...
पूर्वोत्तर: नवाचार के माध्यम से विकास को गति

पूर्वोत्तर: नवाचार के माध्यम से विकास को गति

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- जी किशन रेड्डी एक दशक पहले विशाल वन क्षेत्र और भूमि से घिरी भौगोलिक स्थिति के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र की चुनौतीपूर्ण स्थलाकृति को क्षेत्र के विकास और परिवहन संपर्क के लिए एक प्राकृतिक बाधा के रूप में माना जाता था। दस साल बाद पूर्वोत्तर क्षेत्र के जिरीबाम-इम्फाल में दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा रेलवे घाट पुल एक जीवंत तकनीकी चमत्कार है, जो स्थलाकृति की चुनौतियों के बावजूद निर्बाध परिवहन संपर्क की सुविधा प्रदान करता है। 2014 के बाद से क्षेत्र की वास्तविक क्षमता का लाभ उठाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में 5 लाख करोड़ से अधिक खर्च किए गए हैं। प्रौद्योगिकी और डिजिटलीकरण पूर्वोत्तर क्षेत्र के समग्र विकास की रणनीति के अनिवार्य हिस्से बन गए हैं, जिनसे इस पहल को और गति मिली है। सार्वजनिक सेवा सुविधा व शासन से लेकर युवा और उद्यम तक, प्रौद्योगिकी का व्यापक उपयोग पूर्वोत्तर भारत के अमृत काल में एक नई क्...
पूर्वोत्तर ने दिखाया कांग्रेस को आईना

पूर्वोत्तर ने दिखाया कांग्रेस को आईना

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- सुरेश हिन्दुस्थानी पूर्वोत्तर भारत के तीन राज्यों के चुनाव परिणामों ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। वहीं यह चुनाव परिणाम भारतीय जनता पार्टी के लिए उत्साह बढ़ाने का काम करने वाले हैं। भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस को लग रहा था कि उसकी राजनीतिक स्थिति सुधर जाएगी, लेकिन पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में हुए विधानसभा के चुनाव परिणाम ने कांग्रेस की आशा को ध्वस्त करने का ही काम किया है। कांग्रेस के नेताओं को जिस प्रकार से अप्रत्याशित परिणामों की उम्मीद दिखाई दे रही थी, परिणामों ने कांग्रेस के उड़ान भरते हुए पंखों को काटने का काम किया है। इस कारण एक बार फिर से कांग्रेस की राजनीतिक आकांक्षा को पलीता लगा है। ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस के नेता भारत जोड़ो यात्रा को राजनीतिक उत्थान के लिए रामबाण दवा मानकर चल रहे थे, लेकिन यह दवा भी कारगर सिद्ध नहीं हो पाई। कांग्रेस की गिरती हुई साख को बचाने के लि...
पूर्वोत्तर का जनादेश और वैरियर एल्विन का पिंडदान…!

पूर्वोत्तर का जनादेश और वैरियर एल्विन का पिंडदान…!

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- डॉ. अजय खेमरिया पूर्वोत्तर के तीन राज्यों ने जो जनादेश दिया है उसके तीन महत्वपूर्ण राजनीतिक आयाम हैं। चेन्नई में एक दिन पहले मुख्यमंत्री स्टालिन के जन्मदिन पर विपक्षी एकता का जो जमावड़ा जुटा था वह एक सियासी सर्कस साबित हुआ। क्योंकि त्रिपुरा में वामपंथी और कांग्रेस मिलकर भी भाजपा के विजय रथ को रोक नही पाए। इसलिए 2024 में संयुक्त विपक्ष की अवधारणा स्टालिन के जन्मदिन के 24 घंटे में ही कमजोर पड़ गई। दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण है पूर्वोत्तर में "स्व"के भाव का प्रकटीकरण। देश के इस हिस्से को स्वाधीनता के बाद नेहरू जी ने एक मिशनरी एजेंट के रूप में आये कथित मानव विज्ञानी वेररियर एल्विन के हवाले करके जो डेमोग्राफिक बदलाब यहां खड़ा किया आज उसकी विदाई के तत्व भी इस जनादेश में छिपे हैं। राजनीतिक विमर्श नवीसी में आज भी भाजपा को काऊ बैल्ट की पार्टी कहने वालों के लिए भी यह जनादेश एक बड़े धक्के से कम नही ह...
मोदी सरकार में पूर्वोत्तर का तेजी से होता विकास और खत्म होता उग्रवाद

मोदी सरकार में पूर्वोत्तर का तेजी से होता विकास और खत्म होता उग्रवाद

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- डॉ. मयंक चतुर्वेदी पूर्वोत्तर भारत और यहां के समस्त राज्यों को लेकर एक बात बिना किसी हिचक के हमें स्वीकारनी होगी कि देश के इस हिस्से के प्रति शेष देश में सहज अपनत्व की भावना में प्राय: कमी ही देखी जाती रही है । संभवत: यही वह कारण भी होगा जिसके चलते दुर्भाग्यवश स्वाधीन भारत की लम्बे समय तक केंद्र में रहीं कांग्रेसी सरकार या मिली जुली सरकारों ने न तो पूर्वोत्तर राज्यों के आर्थिक विकास के लिए ठोस प्रयास किये और न ही उनके सामरिक महत्व की पहचान कर उसके लिए आवश्यक कदम ही उठाए । वस्तुत: नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद पूर्वोत्तर की तरफ तेजी के साथ ध्यान दिया जा रहा है, यदि आज यह कहा जाए तो कुछ गलत न होगा । वर्तमान में पूर्वोत्तर को लेकर दिल्ली की सोच में स्पष्ट परिवर्तन दिखाई दे रहा है। सबसे अच्छी बात यह है कि वहां उग्रवाद में बहुत अधिक कमी देखने को मिल रही है और युवा वर्ग का विकास योजनाओं त...
केंद्र के सतत प्रयास, पूर्वोत्तर का त्वरित विकास

केंद्र के सतत प्रयास, पूर्वोत्तर का त्वरित विकास

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- अजय दीक्षित पूर्वोत्तर की भाषा, संस्कृति, खानपान और वेशभूषा को पूरा भारत अपनी धरोहर मानता है। इस क्षेत्र की पहचान को बचाये रखने और इसके संवर्धन के लिए केन्द्रीय सरकार प्रयासरत है । वास्तव में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने असम के गुवाहाटी में पूर्वोत्तर परिषद की 70वीं पूर्ण बैठक की अध्यक्षता के दौरान जो कहा है, आज उससे समझा जा सकता है कि इस संपूर्ण क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए केंद्र की मोदी सरकार कितनी गंभीर है। देखा जाए तो पूर्वोत्तर के विकास की राह में दशकों से तीन प्रमुख बाधाएं थीं-उग्रवादी समूहों द्वारा हिंसा और अशांति, पूर्वोत्तर में रेल, सड़क और हवाई संपर्क की कमी और पिछली सरकारों का पूर्वोत्तर के विकास पर जोर न देना । अब तक देखने में प्राय: यही आया है कि पिछली सरकारों के लिए पूर्वोत्तर का विकास कभी प्राथमिकता में नहीं रहा था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ...
पूर्वोत्तर में नशे का मकड़जाल

पूर्वोत्तर में नशे का मकड़जाल

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- असरार अंसारी भारत के अन्य राज्यों के साथ-साथ पूर्वोत्तर में भी ड्रग्स की तस्करी का अवैध कारोबार जोर-शोर से चल रहा है। असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा द्वारा ड्रग्स तस्करों के खिलाफ सख्ती बरते जाने के निर्देश के मद्देनजर पुलिस लगातार ड्रग्स तस्करों को पकड़ रही है। बावजूद इसके यह गोरखधंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा है। असम में इन दिनों सबसे ज्यादा हेरोइन की तस्करी हो रही है। आए दिन हेरोइन तस्करों को पुलिस गिरफ्तार कर रही है। लेकिन यह नशे का कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा । युवा पीढ़ी इन दिनों सबसे ज्यादा ड्रग्स का सेवन कर रही है। हेरोइन की लत काफी खतरनाक है। यह सीधा मस्तिष्क पर असर करती है, और इसे आसानी से छोड़ पाना काफी मुश्किल है। पुलिस तस्करों को ड्रग्स तस्करी करते समय गिरफ्तार कर जेल भेज देती है। लेकिन ड्रग्स, गांजा समेत नशीले टेबलेट्स का गोरखधंधा असम में पड़ोसी राज्य मिजोरम,...